Edited By bharti,Updated: 03 Feb, 2019 01:08 PM
अलग - अलग संस्थाओं दुारा ली जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में निगेटिव मार्किंग पर मद्रास हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है। मद्रास...
नई दिल्ली : अलग - अलग संस्थाओं दुारा ली जाने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में निगेटिव मार्किंग पर मद्रास हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है। मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि सीबीएसई द्वारा संचालित होने वाली जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में निगेटिव मार्किंग की व्यवस्था पर फिर से विचार किए जाने की जरूरत है क्योंकि यह मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है और उन्हें बुद्धिमानी के साथ अंदाजा लगाने से रोकता है।
न्यायमूर्ति आर महादेवन ने जेईई (मुख्य) परीक्षा में बैठे एस नेलसन प्रभाकर की एक याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की।प्रभाकर 2013 में इस परीक्षा में बैठे थे। उन्होंने एससी श्रेणी के तहत यह परीक्षा दी थी। निगेटिव मार्किंग के चलते वह कट ऑफ से तीन नंबर पीछे रह गए थे। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी भौतिकी और गणित की उत्तर पुस्तिकाओं का फिर से मूल्यांकन करने के लिए सीबीएसई को एक निर्देश देने की मांग करते हुए अदालत का रूख किया था। अदालत द्वारा अंतरिम राहत दिए जाने के बावजूद सीबीएसई ने उन्हें जेईई (एडवांस) में बैठने देने की इजाजत नहीं दी थी। गौरतलब है कि पहले जेईई मेंस परीक्षा का आयोजन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से किया जाता था, लेकिन अब जेईई मेंस परीक्षा का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी दुारा किया गया था।