Edited By Sonia Goswami,Updated: 23 Jan, 2019 09:36 AM
23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में ‘सुभाष चंद्र बोस’ का जन्म हुआ था। आज उनकी 122वीं जयंती है। आज भी लोग उन्हें ‘नेताजी’कहकर बुलाते हैं। अपने क्रांतिकारी तेवर से ब्रिटिश राज को हिलाकर रख देने वाले सुभाष चंद्र बोस की मौत रहस्य बनी हुई है।
23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में ‘सुभाष चंद्र बोस’ का जन्म हुआ था। आज उनकी 122वीं जयंती है। आज भी लोग उन्हें ‘नेताजी’कहकर बुलाते हैं। अपने क्रांतिकारी तेवर से ब्रिटिश राज को हिलाकर रख देने वाले सुभाष चंद्र बोस की मौत रहस्य बनी हुई है।
देश की आजादी में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। आजादी की लड़ाई के लिए उन्होंने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था, उनके संघर्षों और देश सेवा के जज्बे के कारण ही महात्मा गांधी ने उन्हें देशभक्तों का देशभक्त कहा था।
23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में जन्में सुभाष के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ कटक के मशहूर वकील थे। बता दें, वह 14 भाई-बहन थे जिनमें उनके माता-पिता के 6 बेटियां और 8 बेटे थे। सुभाष अपने माता-पिता की नौवीं संतान और पांचवें बेटे थे।
यहां की पढ़ाई
सुभाष ने कटक में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने रेवेनशा कॉलिजियेट स्कूल में दाखिला लिया। जिसके बाद उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी ( अब कोलकाता) से पढ़ाई की। 1919 में बीए की परीक्षा उन्होंने प्रथम श्रेणी से पास की, यूनिवर्सिटी में उन्हें दूसरा स्थान मिला था। उनके पिता की इच्छा थी कि सुभाष आईसीएस बनें। उन्होंने अपने पिता की यह इच्छा पूरी की। 1920 की आईसीएस परीक्षा में उन्होंने चौथा स्थान हासिल किया लेकिन सुभाष का मन अंग्रेजों के अधीन काम करने का नहीं था। 22 अप्रैल 1921 को उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया।
गांधी से जब हुई पहली मुलाकात
महात्मा गांधी ने सुभाष चंद्र बोस को देशभक्तों का देशभक्त कहा था. उनकी पहली मुलाकात गांधी जी से 20 जुलाई 1921 को हुई थी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए उन्होंने काम गांधी जी की सलाह पर ही करना शुरू किया था।