Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Oct, 2017 06:21 PM
भारतीय सार्वजानिक पुस्तकालय आन्दोलन (आईपीएलएम) ने देश में लोगों को विशेषकर ...
नई दिल्ली : भारतीय सार्वजानिक पुस्तकालय आन्दोलन (आईपीएलएम) ने देश में लोगों को विशेषकर युवाओं की किताबों के प्रति दिलचस्पी बढ़ाने के लिए सरकार से पुस्तकालयों के लिए नयी नीति एवं कानून बनाने की मांग की है। तीसरे भारतीय सार्वजनिक पुस्तकालय सम्मेलन में आज यह मांग की गयी। नैसकाम फाउंडेशन की ओर से आयोजित तीन दिवसीय सम्मलेन में आईपीएलएम की कार्यकारी निदेशक डॉ शुभांगी शर्मा ने देश में पुस्तकालय आन्दोलन को मकाबूत बनाने के लिए इन मांगों के सम्बन्ध में राजा राम मनोहर राय पुस्तकालय फाउंडेशन के अध्यक्ष ब्रजकिशोर शर्मा को अपनी सिफारिशें पेश कीं।
डॉ शर्मा ने कहा कि देश के 28 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के प्रतिनिधियों की बैठक में इन सिफारिशों के संबंध में यह रिपोर्ट तैयार की गयी है,रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में सार्वजानिक पुस्तकालयों के बारे में पहला कानून 1948 में बना था, उसके बाद उस कानून में मामूली बदलाव किये गए और 1986 में एक नीति का मसौदा तैयार हुआ था लेकिन इस बीच देश में ही नहीं पूरी दुनिया में बदलाव हुए तथा प्रौद्योगिकी के कारण उसमें व्यापक परिवर्तन हुए,इसे देखते हुए सार्वजानिक पुस्तकालयों की स्थिति सुधरने के लिए नए कानून एवं नयी नीति बनाने की जरूरत है।रिपोर्ट में पुस्तकालयों को डिजिटल बनाने एवं उसे नेट आदि से लैस करने तथा ढांचागत सुविधाओं को मकाबूत बनाने की सिफारिश की गयी है