स्कूली बच्चों में बढ़ने लगा तनाव,साइकोलॉजिस्ट के रूप में नया करियर ग्राऊंड

Edited By Isha,Updated: 14 Dec, 2018 01:23 PM

new school teachers in school as a psychologist

पढ़ाई के बोझ में दबे बच्चों के लिए स्कूलों में साइकोलॉजिस्ट की मांग अचानक से तेज होने लगी है। केंद्रीय विद्यालायों में तो साइकोलॉजिस्टों का एप्वाइंटमेंट्स तक किया जा चुका है। बच्चों के अचानक से हिंसात्मक रवैये, तनाव और दबाव का

नई दिल्लीः पढ़ाई के बोझ में दबे बच्चों के लिए स्कूलों में साइकोलॉजिस्ट की मांग अचानक से तेज होने लगी है। केंद्रीय विद्यालायों में तो साइकोलॉजिस्टों का एप्वाइंटमेंट्स तक किया जा चुका है। बच्चों के अचानक से हिंसात्मक रवैये, तनाव और दबाव का स्तर अचानक से बढ़ता जा रहा है। यही देखते हुए स्कूलों में साइकोलॉजिकल सपोर्ट के लिए साइकोलॉजिस्टों की जरूरत बढ़ती जा रही है। ऐसे में स्कूलों में साइकोलॉजिस्ट के रूप में नया करियर ग्राऊंड तैयार हो रहा है।

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केवल स्टूडेंट्स ही नहीं टीचर्स को भी साइकोलॉजिकल टेक्निक से पढ़ाने और बच्चों को समझने की जरूरत होती है। ऐसे में अगर स्कूल में साइकोलॉजिस्ट मौजूद होंगे तो इससे न केवल स्कूल में बेहतर माहौल कायम होगा बल्कि बच्चों के साथ टीचर्स को भी मदद मिलेगी।  

एजुकेशनल क्‍वालिफिकेशन
साइकोलॉजी में आपका ग्रेज्युएट होना जरूरी है। इसके अलावा अगर आपका  स्पेशलाइजेशन चाइल्ड साइकोलॉजी में हो तो ये आपके लिए एडिशनल क्वालिफिकेशन होगा। पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद पीएचडी या एमफिल किया जा सकता है। ये सब आपके क्लवालिफिकेशन का एड ऑन होगा।

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स्कूल साइकोलॉजिस्ट की जिम्मेदारी 
स्कूल मनोवैज्ञानिक बच्चों के विकास की विशेषताओं को समझने में शिक्षक की सहायता करता है। प्रत्येक छात्र विकास की कुछ निश्चित अवस्थाओं से गुजरता है जैसे शैशवास्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था और प्रौढ़ावस्था। विकास की दृष्टि से इन अवस्थाओं की विशिष्ट विशेषताएं होती हैं। यदि शिक्षक इन विभिन्न अवस्थाओं की विशेषताओं से परिचित होता है तो वह अपने छात्रों को भली प्रकार समझ सकता है और छात्रों को उसी प्रकार निर्देशन देकर उनको लक्ष्य प्राप्ति में सहायता कर सकता है। इस बारे में पूर्ण जानकारी भी स्कूल साइकोलॉजिस्ट ही टीचर को देता है। बच्चों के नेचर को जानने की कोशिश करता है।

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शिक्षा की प्रकृति एवं उद्देश्यों को समझने में सहायता प्रदान करता है। बच्चों की वृद्धि और विकास के बारे में शिक्षकों को ज्ञान देता है।  मानसिक रूप से स्वस्थ बच्चों के लक्षणों को पहचानना और ऐसा प्रयास करना कि उनकी इस स्वस्थता को बनाए रखा जा सके, यह कार्य भी स्कूल साइकोलॉजिस्ट का ही होता है।

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