Edited By bharti,Updated: 20 Jun, 2018 04:19 PM
सरकार लगातार शिक्षा सुधार की ओर कदम बढ़ा रही है ताकि शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकें। इसी कड़ी में ...
नई दिल्ली : सरकार लगातार शिक्षा सुधार की ओर कदम बढ़ा रही है ताकि शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकें। इसी कड़ी में अब सरकार को बड़ी सफलता हासिल हुई है , क्योंकि स्कूलों में आठवीं तक फेल ना करने की नीति में बदलाव को अब संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही इस बिल के अब संसद के मानसून सत्र में पास होने के रास्ते खुल गए है। सरकार इसे अब अगले साल से लागू करने की तैयारी में है। बदलाव की इस पहल को देश के 25 राज्यों का समर्थन पहले ही मिल चुका है। ऐसे में अब इसके रास्ते में कोई भी अड़चन नहीं बची है।
अभी भी चार राज्यों ने नहीं दी मंजूरी
चार राज्य अभी परीक्षा में बदलाव की इस नीति के खिलाफ है, इनमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा और तेलंगाना शामिल है। इन राज्यों ने पिछले दिनों कैब (सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन) की बैठक में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। यही वजह है कि सरकार ने परीक्षा में बदलाव की नीति में राज्यों को इस मामले में पूर्ण स्वायत्ता दे दी है।मंत्रालय का मानना है कि वह राज्यों के बीच इस मसले पर कोई टकराव नहीं चाहती है। यही वजह है कि उन्होंने राज्यों को इस मामले में अपने स्तर पर फैसला करने को कहा है। हालांकि नए नियमों के तहत जिन 25 राज्यों ने इस बदलाव का समर्थन किया है, वहां अगले साल यानि मार्च 2019 से पांचवी और आठवीं की परीक्षा होगी और इनमें कमजोर छात्रों को फेल भी किया जाएगा।
गौरतलब है कि यूपीए सरकार ने पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों के स्कूल छोड़ने की बढ़ती संख्या को देखते हुए आठवीं तक फेल ना करने की नीति को लागू किया था। इसके चलते प्रत्येक छात्र आठवीं तक पास होता चला जाता है, जबकि नौवीं में वह फेल हो जाता है। ऐसे में नौवीं में अचानक छात्रों के फेल होने की संख्या बढ़ गई थी।