Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Apr, 2018 11:56 AM
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) ने संस्कृत को छात्रों के लिए एक खास तोहफा लेकर आए हैं। जेएनयू में हाल ही में स्थापित स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज (एसएसआईएस) ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है।
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) ने संस्कृत को छात्रों के लिए एक खास तोहफा लेकर आए हैं। जेएनयू में हाल ही में स्थापित स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज (एसएसआईएस) ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है। एसएसआईएस की ओर से कल्प वेदांग में पीजी डिप्लोमा और पंडित की ट्रेनिंग देने जैसे कई कोर्स शामिल है, जो कि साल 2019 के सत्र से शुरू किए जा सकते हैं।
खास बात यह है कि इस कोर्स में हर धर्म, जाति और समुदाय के छात्र एडमिशन ले सकेंगे। एसएसआईएस के पहले डीन गिरीश नाथ झा का कहना है कि हम संस्कृत की छवि तोड़ना चाहते हैं। यह प्राचीन भाषा है जो अल्ट्रा-मॉडर्न भी है और कंप्यूटर के लिए भी उपयुक्त है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने ये भी कहा कि हमें आशा है कि जेएनयू में ट्रेनिंग लिए हुए पंडित भी मंदिरों और धार्मिक कार्यकमों में जाएंगे।
इन कोर्स को कराने का प्रस्ताव 23 फरवरी को एसएसआईएस की स्कूल कॉर्डिनेशन कमेटी में लिया गया था। वहीं जेएनयू कई अन्य कोर्स भी शुरुआत की है। रिपोर्ट्स की मानें तो अब विश्वविद्यालय की ओर से धार्मिक पर्यटन का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा करवाया जाएगा। वास्तु शास्त्र में एक साल का पीजी डिप्लोमा भी करवाया जाएगा। साथ ही योग और आयुर्वेद की पढ़ाई भी करवाई जाएगी।