अब पैरंट्स सिखाएंगे मनमानी फीस लेने वाले स्कूलों को सबक, पढ़ें पूरी खबर

Edited By ,Updated: 11 Apr, 2017 10:51 AM

now teach the lesson to schools taking arbitrary fees

शिक्षा का नया सत्र अभी शुरू होने ही वाला है और प्राइवेट स्कूलों में दाखिले के नाम पर मनमानी शुरू हो गई है। लगभग सभी ...

लखनऊ :  शिक्षा का नया सत्र अभी शुरू होने ही वाला है और प्राइवेट स्कूलों में दाखिले के नाम पर मनमानी शुरू हो गई है। लगभग सभी स्कूल कालेजों में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए अभिभावकों की भाग दौड़ का नजारा तो आम हो गया है। स्कूलों में कहीं नए एडमिशन के लिए फॉर्म के नाम पर लूट हो रही है तो कहीं पुराने छात्र को नई कक्षा में प्रवेश के लिए लूट।  बता दें कि शहर में अगर कोई स्कूल मनमानी फीस लेता है तो पैरंट्स उस पर एफआईआर करवा सकते हैं। डीआईओएस उमेश त्रिपाठी ने सोमवार को यह भी कहा है कि पैरंट्स अगर हमारे पास शिकायत करेंगे तो विभाग स्कूल के खिलाफ एफआईआर करवाएगा

डीआईओएस ने पैरंट्स की सहूलियत के लिए एक फॉर्म्यूला भी जारी किया है। उन्होंने कहा है कि अभिभावक इसके जरिए जान सकते हैं कि उनसे बच्चे की फीस के नाम पर अतिरिक्त उगाही हो रही है या नहीं। दरअसल, शिक्षा भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीआईओएस त्रिपाठी ने बताया कि कई स्कूल एसी, बिल्डिंग, मैगजीन और डिवेलपमेंट के नाम पर बच्चों से फीस में पैसा ले रहे हैं। यह सभी मद अवैध हैं। अगर स्कूल एसी लगाता है तो वह उसकी निजी संपत्ति है। बच्चों से सिर्फ उस पर खर्च होने वाली बिजली का चार्ज ले सकते है जो मेंटिनेंस में आएगा। स्कूल इसके अलावा जो भी फीस ले रहे हैं, वह अवैध है। उसे बंद करना होगा। उन्होंने कहा कि शहर के सभी स्कूलों में ली जा रही फीस की जांच करने के लिए टीमें बना दी गई हैं। स्कूलों पर छापे मारे जाएंगे और स्कूलों को यह बताना होगा कि वे इतनी फीस क्यों ले रहे हैं। स्पष्टीकरण न दे पाने पर स्कूल के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी।

स्कूलों को संकेत - बताया जा रहा है कि स्कूल परिसर से किताबें-ड्रेस बेचना या स्कूल को शादी-पार्टी के लिए किराये पर देना गलत है। स्कूल का कमर्शल इस्तेमाल नहीं हो सकता। यह अवैध है और इसमें कर चोरी भी शामिल है। ज्यादातर स्कूल निजी प्रकाशकों की किताबें चलाते है जो उनके द्वारा तय जगहों पर ही मिलती हैं। केवल एनसीईआरटी की किताबें ही चलेंगी। अगर अन्य किताबें चलानी हैं तो स्कूल दुकान नहीं तय करेंगे। पैरंट्स जहां चाहें, वहां से किताबें खरीदें।

कुल छाज्ञ - स्कूल में 20 शिक्षक, सैलरी 15,000 रुपये/ टीचर के हिसाब से 3 लाख रुपए।
स्कूल मेंटिनेंस का खर्च 1 लाख जोड़ा जाए तो स्कूल कुल खर्च 4 लाख रुपए।
- स्कूल में अगर 500 बच्चे हैं तो चार लाख को 500 से भाग करेंगे। ऐसे में स्कूल में किसी भी बच्चे से 800 रुपये से ज्यादा फीस नहीं ली जा सकती।

एक क्लास के आधार पर- वहीं दूसरी ओर डीआईओएस ने कहा कि अगर कोई अभिभावक अपने बच्चे की फीस के बारे में पूछता है तो स्कूल को यह बताना होगा कि बच्चे को कितने टीचर पढ़ाते हैं। उन टीचरों की सैलरी कितनी है। बच्चे की क्लास में कुल कितने स्टूडेंट्स हैं। स्कूल में कुल कितनी क्लास चल रही हैं ताकि औसत मेंटेनेंस भी पता चले। फिर अभिभावक इसी फॉर्म्यूले से अपने बच्चे की फीस की गणना कर सकते हैं। इस फीस में ट्यूशन फीस और बच्चों को स्कूल में मिलने वाली अन्य सभी सुविधाओं का खर्च शामिल होता है। अगर स्कूल इससे ज्यादा फीस ले रहा है तो पैरंट्स शिकायत करें, स्कूल पर कार्रवाई की जाएगी।

शिकायत - सिटी स्टेशन के पास स्थित डीआईओएस ऑफिस में फीस  की शिकायत सुनने के लिए 2 काउंटर बनाए गए हैं जो पूरे दिन खुलेंगे। सुबह 10 से 12 बजे तक लोगों की शिकायतें डीआईओएस या सहायक डीआईओएस सुनेंगे।

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