Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Apr, 2018 09:24 AM
आज हम आपको ऐसी ख़बर से रूबरू कराने जा रहे हैं जो उन स्टूडेंट्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जिनको किसी कारणवश अपनी ग्रेजूएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन बीच में ही छोड़नी पड़ती है
नई दिल्ली: आज हम आपको ऐसी ख़बर से रूबरू कराने जा रहे हैं जो उन स्टूडेंट्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जिनको किसी कारणवश अपनी ग्रेजूएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन बीच में ही छोड़नी पड़ती है और कुछ समय बाद अगर वह उसे दोबारा करना चाहें तो उन्हें उसकी पढ़ाई शुरूआत से ही करनी होती है। इस विषय पर सरकार एक अहम फैसला लेने जा रही है। अगर सब कुछ ठीकठाक रहा तो आप अपनी पढ़ाई वहीं से जारी रख पाएंगे जहां से आपने उसे किसी मजबूरीवश छोड़ा था।
हमारे कहने का सीधा मतलब ये है दोस्तों, कि अगर आप अपनी ग्रेजूएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन एक या दो वर्ष में ही कर के छोड़ देते है और कुछ साल बाद उसे दोबारा करना चाहते हैं तो आपको शुरूआत से पढ़ने की जरूरत नहीं होगी। आप वहीं से पढ़ेंगे जहां से आपने पढ़ाई छोड़ी थी। यानि अब आपके साल बर्बाद नहीं होंगे। इसके लिए नई एजूकेशन पॉलिसी में एंट्री-एग्जिट पॉलिसी आ सकती है। पॉलिसी तय होने के बाद जब कोई फर्स्ट ईयर करेगा तो उसे सर्टिफिकेट इन आर्ट या इसी तरह का सर्टिफिकेट मिल सकता है।
बाद में पढ़ाई जारी रखने पर सेकंड नई एजुकेशन पॉलिसी के लिए संघ के संगठन भारतीय शिक्षण मंडल ने जो सुझाव दिए थे उनमें एक सुझाव यह भी है। भारतीय शिक्षण मंडल के संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने बताया कि इस सुझाव पर सभी एक्सपर्ट सहमत दिखे इसलिए हमें उम्मीद है कि यह एंट्री-एग्जिट का सुझाव किसी न किसी रूप में नई एजुकेशन पॉलिसी में शामिल होगा। एचआरडी मिनिस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक भी इस मसले पर एजुकेशन पॉलिसी के लिए बनी कमिटी में भी काफी चर्चा हुई और सभी सदस्यों को यह सुझाव जरूरी लगा।
कानितकर ने कहा कि इस सुझाव के मुताबिक, अगर कोई बीएससी फर्स्ट ईयर पास करता है तो उसे सर्टिफिकेट इन साइंस दिया जाए। सेकंड ईयर पास करने पर डिप्लोमा इन साइंस, थर्ड ईयर पास करने पर बीएससी पास और फोर्थ ईयर के बाद बीएससी ऑनर्स या ग्रैजुएशन की डिग्री दी जाए। इस तरह अगर चार साल में ग्रैजुएशन की डिग्री मिलती है तो पांचवें साल में सीधे एमएससी यानी मास्टर्स इन साइंस की डिग्री मिल सकती है।
उन्होंने कहा कि जो 4 साल के ग्रैजुएशन की चर्चा चल रही है। वह दरअसल यह सुझाव है कि हर साल में एग्जिट और एंट्री पॉलिसी हो और इस तरह हो कि अगर चार साल में ग्रैजुएशन होता है तो फिर एक साल बाद मास्टर्स हो जाए। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि नई एजुकेशन पॉलिसी में यह किसी न किसी रूप में शामिल होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए करिकुलम को भी उसी हिसाब से बदलना होगा ताकि हर एक साल की पढ़ाई कर एग्जिट करने वाले स्टूडेंट्स किसी न किसी जॉब की योग्यता रखते हों।