पीएमएस विवाद : पंजाब सरकार देगी निजी कॉलेजों को 323 करोड़

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jun, 2018 02:33 PM

pms controversy punjab government will provide 323 crore private colleges

निजी कॉलेजों के अनुसूचित जातियों के छात्रों की पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप (पीएमएस) के मद में बकाया पर विवाद के बीच पंजाब सरकार ने निजी कॉलेजों को 323 करोड़ रुपए तुरंत देने का आश्वासन दिया है।

चंडीगढ़ (वार्ता) : निजी कॉलेजों के अनुसूचित जातियों के छात्रों की पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप (पीएमएस) के मद में बकाया पर विवाद के बीच पंजाब सरकार ने निजी कॉलेजों को 323 करोड़ रुपए तुरंत देने का आश्वासन दिया है।  निजी शैक्षणिक संस्थानों के 14 संगठनों की संयुक्त कृति समिति (जेएसी) ने यह जानकारी दी। जेएसी के अध्यक्ष अश्वनी सेखरी ने बताया कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के आवास में हुई एक बैठक में 323 करोड़ रुपए देने के अलावा फीस निर्धारण समिति बनाने, बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की तब तक की फीस के भुगतान पर विचार के भी आश्वासन दिए गए हैं।  

बैठक में मुख्यमंत्री खुद नहीं थे पर उनके स्थान पर बैठक की अध्यक्षता समाज कल्याण मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने की। बैठक में सरकार की तरफ से आश्वासन दिया गया कि 323 करोड़ रुपए का सरकार केंद्र से भुगतान होते ही तुरंत किया जाएगा। केंद्र को प्रदेश सरकार की तरफ से यूटिलिटी सर्टीफिकेट भी दिया जाएगा ताकि केंद्र से और रकम मिल सके।  बैठक में आईटीआई, बीएड, ईटीटी, नर्सिंग आदि पाठ्यक्रमों के लिए फीस निर्धारण समिति बनाने पर भी सहमति बनी। निजी कॉलेजों का कहना है कि पिछली सरकार के समय उक्त पाठ्यक्रमों की फीस काफी कम तय की गई है जिससे कॉलेज कई कोर्स के लिए छात्रों को प्रवेश देने से हिचकिचाते हैं।  बैठक में सरकार ने जेएसी को यह भी आश्वासन दिया कि कॉलेजों को छात्रों की एक पाठ्यक्रम में पूरी की गई अवधि की फीस मिलेगी। पहले सरकार का रुख था कि जो छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं उनकी फीस कॉलेजों को न दी जाए और ऐसे छात्रों की दी गई फीस कॉलेज को दी जाने वाली पीएमएस राशि से काट ली जाती थी।   

 

क्या है पीएमएस विवाद

 दरअसल ये विवाद अनुसूचित जातियों (एससी) के छात्रों की पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप (पीएमएस) को लेकर चल रहा है।  इस अनुसार सरकार उन एससी छात्रों की फीस नहीं वितरित करेगी या रिफंड नहीं करेगी जिन्होंने कोर्स पूरा नहीं किया और पढ़ाई बीच में छोड़ दी। ऑडिट टीमों ने आपत्ति योग्य रकम की गणना इस नीति के आधार पर 2011-12 के शैक्षणिक सत्र से की है। जेएसी के अनुसार भारत में ड्रॉपआऊट (पढ़ाई बीच में छोड़ने) की दर ज्यादा है और छात्रों ने जितना समय पढ़ाई की उतने समय की फीस मांगना फ्रॉड नहीं है।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!