हरियाणा के निजी स्कूलों में प्री एजुकेशन यानि नर्सरी से लेकर पहली कक्षा तक 25 फीसदी गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिला दिए जाने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय
हिसार: हरियाणा के निजी स्कूलों में प्री एजुकेशन यानि नर्सरी से लेकर पहली कक्षा तक 25 फीसदी गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिला दिए जाने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में 9 जनवरी को सुनवाई होगी। गैर सरकारी संगठन स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार व महासचिव भारत भूषण बंसल ने आज संवाददाताओं को बताया कि अदालत ने पिछली सुनवाई जो ग्यारह दिसंबर को हुई थी में कड़ा रुख अख्तियार किया था और कहा था कि निजी स्कूलों में प्री नर्सरी से पहली कक्षा तक 25 फीसदी गरीब बच्चों के लिए दाखिले मुफ्त नहीं कराए जाने पर कोई पक्ष नहीं रखा तो न्यायालय अपना फैसला सुना देगा। इसके लिए आगामी नौ जनवरी को सुनवाई तय की गई है। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार और निजी स्कूलों की याचिका उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय कई बार खारिज कर चुका है तो फिर भी दाखिले को लेकर नियम क्यों बदले गए? अगस्त 2015 में हरियाणा सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए यह व्यवस्था कर दी थी कि नर्सरी से पहली कक्षा तक मुफ्त दाखिला के लिए पहले बच्चे नजदीकी सरकारी स्कूल में जाएंगे, अगर वहां सीटें खाली नहीं होंगी तो फिर प्राइवेट स्कूलों में दाखिला ले सकेंगे। सरकार के इस फैसले को संगठन ने वरिष्ठ अधिवक्ता अंकित ग्रेवाल के माध्यम से याचिका डालकर चुनौती दी थी।
परमार और श्री बंसल के अनुसार इसके बाद सरकार बार-बार न्यायालय से समय लेकर मामले को लंबा खींचती रही। हरियाणा स्कूली शिक्षा नियमावली 2003 के अनुसार शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों को प्री नर्सरी से कक्षा पहली तक 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त दाखिला देने का प्रावधान किया हुआ है। वर्ष 2010 में रोहतक के ‘दो जमा पांच मुददे‘ जनआंदोलन के प्रदेश अध्यक्ष सतबीर हुडडा बनाम हरियाणा सरकार केस डाला गया था, जिसमें 20 नवबर 2011 को हाईकोर्ट ने गरीब बच्चों को 25 फीसदी सीटों पर दाखिला देने के आदेश दिए थे, लेकिन इसके बाद वर्ष 2014 में डबल बैंच में चला गया। जिस पर डबल बैंच ने भी फैसला देते हुए कहा था कि आरटीई एक्ट के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में 25 फीसदी दाखिले प्री नर्सरी से पहली कक्षा तक दिलाए जाएं। इसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट की शरण में चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई तो अपने कदम पीछे खींच लिए। इसके बाद 18 सितंबर 2015 को उच्च न्यायालय में पुनर्विचार चाचिका डाली तो वह भी खारिज हो गई। इसके बावजूद भी हरियाणा सरकार ने गरीब बच्चों को प्री नर्सरी से पहली तक की कक्षाओं में मुत दाखिला देने से इंकार कर दिया।
परमार और श्री बंसल ने बताया कि हरियाणा में सरकारी और प्राइवेट स्कूल कक्षा पहली से बारहवीं तक तो 10 व 20 फीसदी गरीब बच्चों को दाखिला तो दे रहे हैं। मगर वर्ष 2015 से लेकर अब तक प्री नर्सरी से कक्षा पहली तक किसी भी बच्चे का मुफ्त दाखिला प्राइवेट स्कूलों में आरटीई नियम के तहत नहीं हुआ है। इसी मामले में उनके संगठन ने ही हरियाणा सरकार के खिलाफ 2016 में उच्च न्यायालय में याचिका डाली थी।
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