21वीं सदी की इबारत लिखेगा आईआईटी हैदराबाद: कोविंद

Edited By Sonia Goswami,Updated: 06 Aug, 2018 09:51 AM

president calls upon iit h graduates to lead innovation

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद ने चौथी 21वीं सदी औद्योगिक क्रांति के अनुरूप प्रतिमान स्थापित किया है और अब यह 21वीं सदी की इबारत लिखेगा।

हैदराबादः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद ने चौथी 21वीं सदी औद्योगिक क्रांति के अनुरूप प्रतिमान स्थापित किया है और अब यह 21वीं सदी की इबारत लिखेगा। श्री कोविंद  तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में कांडी स्थित आईआईटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आईआईटी की दूसरी पीढ़ी को यह जानना जरूरी है कि आईआईटी हैदराबाद ने अतीत के प्रतिमानों से बहुत कुछ सीखा है और इसका अनुसरण किया है।  

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उन्होंने कहा, मौजूदा दौर की परिस्थितियां 1950 और 1960 के समय से भिन्न हैं। देश में काफी बदलाव आया है और प्रौद्योगिकी तथा इंजीनियरिंग क्षेत्र में विकास हुआ है , लेकिन हमारी आकांक्षाएं छह दशक पहले की भारी औद्योगिक आधार तक सीमित नहीं है। राष्ट्रपति ने कहा, मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि इस संस्थान में उद्यमिता के अनुसंधान और प्रचार के लिए केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित करने की शुरुआत की गई है।

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उन्होंने कहा कि उत्कृष्ट वैज्ञानिकी विश्वविद्यालय तथा प्रशिक्षण संस्थान सिर्फ शिक्षा की दुकानें अथवा डिग्रियों की फैक्ट्रियां नहीं होती , बल्कि प्रौद्योगिकी के नवाचार तथा प्रौद्योगिकी संचालित स्टार्ट-अप के स्रोत होते हैं।  उन्होंने कहा कि विज्ञान, अकादमिक संस्थानों , विश्वविद्यालयों, शोध प्रयोगशालाओं, वाणिज्यिक संस्थानों और निजी उद्यमों में सार्वजनिक निवेश की इको-प्रणाली के ज्ञान की जादुई क्षमताएं हैं। 

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उदाहरण के तौर पर अमेरिका के सिलिकॉन वैली को लिया जा सकता है। सिलिकॉन वैली के मूल में बुनियादी विज्ञान, प्रौद्योगिकी परिसर, उसके संकाय और प्रतिभाशाली छात्र हैं।  श्री कोविंद ने कहा कि हैदराबाद में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक शोध परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, परमाणु उर्जा विभाग, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की 19 शोध एवं प्रयोग शालाएं हैं। इनमें से कई संस्थाएं निजी तौर पर बहुत बढिय़ां काम कर रही हैं, हालांकि इनमें परस्पर तालमेल और सहयोग की आवश्यकता अपेक्षित है।  
 

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