राष्ट्रपति कोविंद ने अपने छात्र दिनों की यादें ताजा कीं

Edited By Sonia Goswami,Updated: 26 Feb, 2019 09:20 AM

president ram nath kovind in kanpur city

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कानपुर में डीएवी कॉलेज, कानपुर के शताब्‍दी समारोह का उद्घाटन किया। एक अन्‍य समारोह में राष्‍ट्रपति ने बीएनएसडी इंटर कॉलेज तथा शिक्षा निकेतन कानपुर के पुराछात्र सम्‍मेलन और वार्षिक दिवस को संबोधित किया।

कानपुरः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कानपुर में डीएवी कॉलेज, कानपुर के शताब्‍दी समारोह का उद्घाटन किया। एक अन्‍य समारोह में राष्‍ट्रपति ने बीएनएसडी इंटर कॉलेज तथा शिक्षा निकेतन कानपुर के पुराछात्र सम्‍मेलन और वार्षिक दिवस को संबोधित किया। 

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राष्‍ट्रपति युवा अवस्‍था में इन दोनों संस्‍थानों में पढ़े थे। राष्ट्रपति ने कहा कि आज का समय तकनीक और प्रौद्योगिकी का समय है और आने वाला समय कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का होगा। उन्होंने कहा कि अब हमें नए प्रकार की चुनौतियों का सामना करना है और ऐसी स्‍थिति में, अपने उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए नए दौर के नए साधनों का उपयोग करना होगा। प्रौद्योगिकी ने जो नए औजार दिए हैं, उनका सदुपयोग करते हुए प्रगति करनी है तथा आगे बढऩा है। 

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इससे पहले राष्‍ट्रपति बालाजी मंदिर, कानपुर तथा धम्‍म कल्‍याण कानपुर अंतरराष्ट्रीय विपासना ध्यान केंद्र भी गए। शहर के डीएवी कालेज के 100 वर्ष पूरे होने पर उन्होंने इस कॉलेज में छात्र के रूप में बिताये दिनों को याद किया तथा इसी कॉलेज के पूर्व छात्र अटल बिहारी वाजपेयी को भी नमन किया। बाद में वह बी.एन.एस.डी. कॉलेज भी गए और वहां बितायें अपने दिनों को याद किया। इसी कॉलेज से उन्होंने अपनी हाईस्कूल शिक्षा ली थी। उन्होंने कहा, ‘‘स्‍वामी दयानन्‍द सरस्‍वती के आदर्शों का समाज बनाने के लिए लगभग 131 वर्ष पहले लाला हंसराज ने लाहौर में प्रथम ‘दयानन्‍द एंग्‍लो वैदिक’ कॉलेज की नींव रखी। उसके बाद देश भर में डी.ए.वी. संस्‍थाओं की स्‍थापना होने लगी और उसी क्रम में वर्ष 1919 में यह कॉलेज स्‍थापित किया गया। 

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अब इस कॉलेज की स्‍थापना के 100 वर्ष पूरे हो गए हैं और इस गौरवशाली अवसर पर आयोजित शताब्‍दी वर्ष कार्यक्रम ‘अनान्‍तर’ में शामिल होकर मुझे प्रसन्‍नता हुई है।’’  राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘डी.ए.वी. की शिक्षा-पद्धति में विरासत और आधुनिकता, अंग्रेजी और हिन्‍दी, भारतीय ज्ञान परम्‍परा और पाश्‍चात्‍य वैज्ञानिक दृष्‍टिकोण का सुन्‍दर संयोग है। इसी शिक्षा- पद्धति ने पूर्व प्रधानमंत्री और भारत-रत्‍न से अलंकृत स्‍वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जैसा प्रखर व्‍यक्‍तित्‍व देश को दिया। वह इसी कॉलेज में पढ़े थे। अटलजी के परिवार में शिक्षा-प्राप्‍ति की उत्‍कट अभिलाषा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके पिता भी उनके सहपाठी रहे। मैं उनकी पावन स्‍मृति को नमन करता हूं।’’

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कोविंद ने अपने पुराने छात्र जीवन को याद करते हुये कहा,‘‘ऐसे गौरवशाली इतिहास वाले कॉलेज से मुझे भी शिक्षा प्राप्‍त करने का अवसर मिला। मैंने यहीं से बी.कॉम. और दयानन्‍द कॉलेज ऑफ लॉ से एल.एल.बी. की शिक्षा 1965 से 1969 तक पूरी की। मेरे समय में, विधि की पढ़ाई भी इसी परिसर में होती थी। बहुत अच्‍छा समय था वह, लेकिन बहुत जल्‍दी बीत गया। उन दिनों छात्रावास का वातावरण अध्‍ययन की ²ष्‍टि से बहुत ही शान्‍त होता था। कॉलेज के परिसर के नजदीक ही क्रिकेट के लिए प्रसिद्ध ग्रीन पार्क स्‍टेडियम है। परीक्षा के दिनों में हम लोग ग्रीन पार्क स्‍टेडियम का उपयोग क्रिकेट खेलने के लिए नहीं बल्‍कि एकान्‍त अध्‍ययन के लिए करते थे।‘‘ बाद में राष्ट्रपति ‘ब्रह्मावर्त सनातन धर्म महामंडल’, कानपुर द्वारा संचालित विद्यालयों के संयुक्त पूर्व छात्र सम्मेलन एवं वार्षिकोत्सव समारोह में शामिल हुए।

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उन्होंने कहा कि बी.एन.एस.डी. कॉलेज की ख्याति पूरे प्रदेश में थी और इस कॉलेज के अधिकांश विद्यार्थी हाई स्कूल और इण्टरमीडिएट की परीक्षाओं में पूरे प्रदेश स्तर पर अग्रणी स्थान प्राप्त करते थे। अपने छात्र जीवन को याद करते हुए कोविंद ने कहा,‘‘कक्षा आठ की पढ़ाई के बाद हाई स्कूल की पढ़ाई करने 1960 में मैं अपने गांव परौंख से इस कॉलेज में दाखिला लेने के लिए आया था। मुझे आज भी याद है, उस समय इस कॉलेज में दाखिला पाना बहुत कठिन होता था। मुझे भी यहां पढऩे का अवसर प्राप्त हुआ, जहां से मैंने हाई स्कूल और इण्टरमीडिएट की परीक्षा पास की। मेरे जैसे एक गरीब परिवार से आए हुए विद्यार्थी के लिए कानपुर शहर में रहना और पढ़ाई कर पाना सरल नहीं था। लेकिन इस विद्यालय के शिक्षकों के सहयोग और उचित मार्ग-दर्शन तथा उस समय मुझे मिले सरकारी वजीफा के कारण मैं जीवन में आगे बढ़ सका।‘‘  उन्होंने कहा, ‘‘कुछ ही दिन पहले पुलवामा में हुई आतंकवादी घटना में देश के बहादुर जवानों की शहादत से पूरा देश गहरी पीड़ा में है। उत्‍तर प्रदेश और कानपुर भी इस दुख में सहभागी है। इस हमले में कानपुर देहात जिले के श्‍याम बाबू भी शहीद हुए हैं। मेरी संवेदनाएं इन जवानों के परिजन के साथ हैं और मैं पूरे राष्‍ट्र की ओर से उनकी शहादत को नमन करता हूं।’’ 

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