स्कूल छूटने के बाद की पढ़ाई, हासिल किए 95 फीसदी अंक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 May, 2018 05:06 PM

priyesh tayal 10th student

अगर लक्ष्य पक्का हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है।  मंजिल हासिल करने के लिए बस कड़ी मेहनत की जरूरत होती है। 10वीं कक्षा के स्टूडेंट प्रियेश तायल ने यह साबित करके दिखाया है।

नई दिल्ली:  अगर लक्ष्य पक्का हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है।  मंजिल हासिल करने के लिए बस कड़ी मेहनत की जरूरत होती है। 10वीं कक्षा के स्टूडेंट प्रियेश तायल ने यह साबित करके दिखाया है।

ASN पब्लिक स्कूल छात्र प्रियेश ब्लड कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से पीड़ित हैं। दिसंबर 2017 में प्री-बोर्ड एग्जाम के दौरान उन्हें पता चला कि ब्लक कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं। पूरा परिवार टेंशन में आ गया। लेकिन अपनी विपरीत स्थितियों के बाद भी न परिवार ने हार मानी और न ही प्रियेश ने। परिवार ने अपनी चिंता को प्रियेश पर हावी नहीं होने दिया और प्रियेश ने अपना पूरा ध्यान बीमारी के बजाए पढ़ाई पर लगा दिया।

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प्रियेश ने 95 फीसदी अंक हासिल किए हैं। इलाज के बीच में ही उन्होंने तैयारी की। मैथ्स में तो वे अपने स्कूल में टॉपर रहे। इलाज शुरू होने के बाद उनका जनवरी से ही स्कूल जाना बंद हो गया था। वे घर में ही तैयारी किया करते थे। अपने दोस्तों से वॉट्सऐप के जरिए यह पता करते रहते थे कि स्कूल में टीचर ने क्या पढ़ाया। और इलाज के बीच पढ़ाई में लगे रहते थे।


साइंस के पेपर वाले दिन पहले बिगड़ी तबीयत
सांइस की परीक्षा के महज 10 दिन पहले प्रियेश की कीमोथेरेपी हुई। एग्जाम के बीच में तबीयत भी खराब हुई। हालत इतनी बिगड़ गई कि एग्जाम सेंटर से ही हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। इसके बावजूद प्रियेश ने साइंस में 97 और मैथ्स में 99 अंक प्राप्त किए। अभी हर 21 दिन के अंतराल में उनकी कीमोथेरेपी हो रही है। इलाज के दौरान पढ़ाई पर फर्क न पड़े इसलिए कॉपी-किताबें वे अस्पताल लेकर चले जाते थे।
 

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