DU: नए अध्यक्ष के दाखिले पर उठ रहे सवाल

Edited By pooja,Updated: 19 Sep, 2018 10:51 AM

questions arising on the admission of new president

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू ) के बारे में कहा जाता है कि यह देश में उच्च शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के बारे में प्रचलित है

नई दिल्ली (मनीष राणा) : दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू ) के बारे में कहा जाता है कि यह देश में उच्च शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के बारे में प्रचलित है कि यह देश में बहने वाली को हवा को बताता है। इसके साथ ही डूसू को सक्रिय राजनीति में प्रवेश का गेेट-वे भी माना जाता है। मगर लगातार पिछले दो साल के घटनाक्रम पर नजर डाले तो देश में उच्च शिक्षा व छात्र राजनीति का प्रतिनिधित्व करने वाले डीयू और डूसू दोनो की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है। वह भी किसी अन्य कारण से नहीं बल्कि डूसू अध्यक्ष की डिग्री पर उठे सवालों को लेकर। पिछले साल के डूसू अध्यक्ष का मामला अभी तक सुलझा नहीं है कि नए अध्यक्ष की डिग्री पर और सवाल खड़े हो गए हंै। अरुण जेटली, अजय माकन, विजय गोयल, अलका लांबा,विजय जोली देश की राजनीति सक्रिय राजनीति में यह वह जाने माने नाम है,जो डूसू की राजनीति से सक्रिय राजनीति में आए है। इसके अलावा भी कई नाम ऐसे हैं,जो डूसू की राजनीति से सक्रिय राजनीति में आए और अपनी धमक दिखाई। इसी वजह से सक्रिय राजनीति में अपना भ्विष्य बनाने की चाह रखने वाले छात्र डूसू चुनाव लडऩे के लिए ललायित रहते है। यहीं कारण है कि पिछले कुछ सालों में डूसू प्रत्याशियों की उम्मीदवारी को चुनौती मिलती रही है और उन पर  चुनाव लडऩे के लिए गलत तरीके से दाखिला लेने के आरोप लगते रहे हैं। 

पिछले साल 2017 डूसू चुनाव में एनएसयूआई के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रॉकी तुषीद पर एबीवीपी ने फर्जी डिग्री लगाकर गलत तरीके से दाखिला लेने का अरोप लगाया । चुनाव के दौरान डूसू कमेटी ने रॉकी का नामांकन रद्द कर दिया। एनएसयूआई कोर्ट चली गई। कोर्ट ने रॉकी को चुनाव लडऩे की अनुमति दे दी और रॉकी ने चुनाव भी जीता और डूसू अध्यक्ष भी बन गए। वहीं इसके साथ ही एबीवीपी की तरफ से अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रजत चौधरी ने कोर्ट में रॉकी द्वारा नामांकन के दौरान जानकारी छुपाने का वाद दायर किया। जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए रॉकी के कार्यकाल का एक माह रहने से पहले हाईकोर्ट ने रॉकी का नामांकन रद्द कर दिया। इसके बाद फिर रॉकी कोर्ट से स्टे ले लिया। रॉकी का कार्यकाल भी पूरा हो गया और मामला अभी भी कोर्ट में विचारधीन है। रॉकी के मामले पर फैसला हुआ नहीं है कि अब नवनियुक्त अध्यक्ष अंकिव बैसोया की डिग्री पर विवाद खड़ा हो गया है और एनएसयूआई के शुरुआती रूख को देख लग रहा है कि वह इस मुद्दे पर कोर्ट की शरण में जाएगी। मगर सवाल यह है कि लगातार दो साल अध्यक्ष पद प्रत्याशी पर गलत तरीके से दाखिला लेने का आरोप लगना,क्या यह नहीं बताता है कि डीयू की दाखिला प्रक्रिया में कहीं ना कहीं झौल है। जो डूसू प्रत्याशियों के दाखिले को लेकर विवाद लगातार बढ़ते जा रहे है। इसके अलावा डूसू प्रत्याशियों के दाखिले में कहीं ना कहीं डीयू प्रशासन पर राजनीति दबाव भी दिखाई देता है। 

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