Edited By ,Updated: 22 Apr, 2017 03:14 PM
प्रीम कोर्ट ने आरक्षित वर्ग में नौकरी के संबंध में एक अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को उसी ...
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षित वर्ग में नौकरी के संबंध में एक अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को उसी वर्ग में ही नौकरी मिलेगी, भले ही उसने सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा अंक क्यों नहीं हासिल किए हों। जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस एएम खानविल्कर की पीठ ने कहा कि एक बार आरक्षित वर्ग में आवेदन कर उसमें छूट और अन्य रियायतें लेने के बाद उम्मीदवार आरक्षित वर्ग के लिए ही नौकरी का हकदार होगा। उसे समान्य वर्ग में समायोजित नहीं किया जा सकता। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह फैसला आरक्षित वर्ग की महिला उम्मीदवार के मामले में दिया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उसे सामान्य वर्ग में नौकरी दी जाए, क्योंकि उसने लिखित परीक्षा में सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा अंक हासिल किए हैं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने उम्र सीमा में छूट लेकर ओबीसी श्रेणी में आवेदन किया था और उसने इंटरव्यू भी ओबीसी श्रेणी में ही दिया था, इसलिए वह सामान्य श्रेणी में नियुक्ति के लिए दावा नहीं कर सकती।
जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि डीओपीटी की 1 जुलाई1999 की कार्यवाही के नियम तथा ओएम में साफ है एससी एसटी ओबीसी के उम्मीदवार को जो अपनी मेरिट के आधार पर चयनित होकर आए हैं उन्हें आरक्षित वर्ग में एडजस्ट नहीं किया जाएगा। उसी तरह जब एससी एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए छूट के मानक जैसे- उम्रसीमा, अनुभव, शैक्षणिक योग्यता, लिखित परीक्षा के लिए अधिक अवसर दिए गए हों तो उन्हें एससी एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों को आरक्षित रिक्तियों के लिए ही विचारित किया जाएगा ऐसे उम्मीदवार अनारक्षित रिक्तियों के लिए अनुपलब्ध माने जाएंगे। आवेदन भरते समय अगर कोई उम्मीदवार खुद को आरक्षित श्रेणी में बताता है और इसके तहत मिलने वाला लाभ लेता है। लेकिन बाद में उसके अंक सामान्य श्रेणी के कटऑफ के बराबर या अधिक होते हैं, तो भी उसका चयन आरक्षित सीटों के लिए ही होगा। इसके तहत उसे सामान्य वर्ग की सीटें नहीं मिलेंगी।