स्कूल में कृषि को लेकर बने समर्पित पाठ्यक्रम : महापात्रा

Edited By bharti,Updated: 03 Sep, 2018 06:54 PM

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने युवाओं में कृषि के प्रति घटते आकर्षण को ध्यान में रख कर मानव संसाधान विकास...

नई दिल्ली : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने युवाओं में कृषि के प्रति घटते आकर्षण को ध्यान में रख कर मानव संसाधान विकास मंत्रालय से स्कूली शिक्षा में‘कृषि के प्रति समर्पित’पाठ्यक्रम तैयार करने तथा उसकी पढाई पर ज्यादा ध्यान देने का अनुरोध किया है । आईसीआर के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा के अनुसार जिस प्रकार से स्कूलों में गणित,भौतिक विज्ञान और रसायन शास्त्र की पढाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है ठीक उसी प्रकार से कृषि शिक्षा पर भी जोर दिये जाने की जरूरत है जिससे नयी पीढी में कृषि के प्रति लगाव उत्पन्न हो सके। उन्होंने कहा कि देश में स्कूली स्तर पर कृषि शिक्षा बहुत कम है जिसके कारण इसके लिए एक समर्पित पाठ्यक्रम तैयार करने की जरुरत है। आईसीएआर ने इस संबंध में मानव संसाधन मंत्रालय को पत्र भी लिखा है । 

डॉ महापात्रा ने कहा कि आज मुश्किल से पांच प्रतिशत युवक रोजगार का कोई विकल्प नहीं होने पर खेती का पेशा अपनाते हैं। खेती को लेकर समाज में ऐसी मान्यता भी बन गयी है जिसके कारण युवा इस ओर नहीं जाना चाहते हैं । उन्होंने कहा कि उनके राज्य ओडिशा में ही युवक शहर जा कर छोटा -मोटा काम कर लेते हैं लेकिन वे खेती नहीं करना चाहते हैं। ऐसे में सामाजिक सोच में बदलाव की भी जरुरत है । डॉ महापात्रा ने कहा कि खेती के लाभदायक नहीं होने के कारण किसान भी अपने बच्चों को डाक्टर और इंजीनियर बनाना चाहते हैं और इसके लिए वे निजी संस्थानों में अधिक राशि खर्च कर बच्चों को पढाते हैं। उन्होंने सवाल किया किया वर्ष 2050 तक देश की आबादी 1.6 अरब हो जायेगी और कृषि को लेकर ऐसी ही सोच बनी रही तो इतनी बड़ी आबादी की खाद्य और पोषण सुरक्षा का क्या होगा ।  महानिदेशक ने कहा कि सरकार एक निश्चित समय सीमा के अंदर कृषि में युवाओं की भागीदारी 10 से 20 प्रतिशत करना चाहती है और इसके लिए कई कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं। कृषि में कौशल विकास के अलावा कृषि विश्विवद्यालयों और कृषि विज्ञान केन्द्रों में अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।‘ आर्या‘ कार्यक्रम के तहत युवाओं के लिये गांवों में कृषि प्रशिक्षण का कार्यक्रम चलाया जा रहा है ।  

उन्होंने कहा कि देश के अधिकांश हिस्सों में परम्परागत खेती की जा रही है जिसमें परिवर्तन की जरुरत है । खेती में मशीनों का उपयोग बढाने तथा अंतरिक्ष विज्ञान की मदद लिए जाने की जरुरत है जिससे उत्पादकता में वृद्धि हो । इसके साथ ही बाजार व्यवस्था को वैज्ञानिक बनाने तथा खेती के क्षेत्र में संचार माध्यमों का भरपूर इस्तेमाल किये जाने की जरुरत है ।

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