बच्चों को सुरक्षित माहौल देने की जिम्मेदारी स्कूलों की है : उच्च न्यायालय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Dec, 2017 03:10 PM

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि बच्चों को सुरक्षित माहौल मुहैया कराने की जिम्मेदारी स्कूलों की है और उसे ...

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि बच्चों को सुरक्षित माहौल मुहैया कराने की जिम्मेदारी स्कूलों की है और उसे ही सुनिश्चित करना है कि परिसर में वयस्क उनके लिए खतरा पैदा नहीं करें। साथ ही उच्च न्यायालय ने एक निजी स्कूल द्वारा छात्रों के यौन उत्पीडऩ़ की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर नाराजगी जताई।  न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की पीठ ने कहा कि स्कूल वह स्थान है जहां बच्चों को समाज के लिए तैयार किया जाता है और संस्थान का दायित्व बनता है कि वह छात्रों के मानसिक, ज्ञान संबंधी और व्यवहार संबंधी विकास के लिए सुरक्षित और स्वस्थ माहौल तैयार करे।  

अदालत ने मॉडर्न पब्लिक स्कूल के प्रबंधन की खिंचाई करते हुए यह टिप्पणी की जिसने कुछ छात्राओं द्वारा एक संगीत शिक्षक के खिलाफ यौन उत्पीडऩ़ की शिकायतों को पुलिस के पास नहीं भेजा और इसे दबाए रखा।  पीठ ने कहा, ‘‘वर्तमान मामले में स्कूल के अधिकारियों ने लड़कियों और उनके अभिभावकों की शिकायतों पर जिस तरीके से इस केस से निपटा, वह हमारी चेतना को झकझोरने वाला है।’’पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह के मामलों को कानूनी कार्रवाई के लिए उपयुक्त अधिकारियों के पास भेजने के बजाए वे कारण बताओ नोटिस जारी कर संतुष्ट महसूस कर रहे हैं जिसमें उन्होंने याचिकाकर्ता (शिक्षक) के खिलाफ संभवत: अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी कर जवाब मांगा है।’’ इसने कहा कि स्कूल अधिकारियों के रूख से गलती करने वाले उत्साहित होते हैं और सहयोग करने वाले लोग वे बहादुर लड़कियां जिन्होंने शिकायत करने की हिम्मत दिखाई निरूत्साहित होते हैं।  अदालत ने कहा कि ऐसे बच्चों को सुरक्षा का अहसास कराना सभी का कर्तव्य है जो शारीरिक या भावनात्मक रूप से पीड़ित होते हैं। 

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