भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में सम्मानित किए गए वैज्ञानिक

Edited By Sonia Goswami,Updated: 08 Oct, 2018 04:10 PM

scientists honored at indian international science festival

उत्तर प्रदेश की राजधानी में चल रहे चौथे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के अंतिम दिन सोमवार को आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में शोध/खोज करने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया।

लखनऊः उत्तर प्रदेश की राजधानी में चल रहे चौथे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के अंतिम दिन सोमवार को आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में शोध/खोज करने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया।   उद्योग और शिक्षा जगत के बीच संवाद के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से प्रविष्टियां आमंत्रित की गई थीं।

 

 सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि ई-कूड़े से माइक्रो बयोलोजिकल कणों को दूर करने की तकनीक विकसित करने के लिए डॉक्टर नितिन अधापुरे को सम्मानित किया गया। दूषित जल को साफ करने की टिकाऊ तकनीक विकसित करने के लिए डॉक्टर वनिता प्रसाद, सेनेटरी नैपकिन के लिए एन विगनेश, बैकटीरियल स्ट्रेंस को दूर करने की तकनीक के लिए नागेश सर्वादे और बायोलॉजीकल सैंपल से पैथोजन को अलग करने की तकनीक के लिए डॉक्टर शुभांगिनी को पुरस्कृत किया गया।      

 

इसोफेगियल कैंसर के मामले में शोध के लिए निशांत कुमार, मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने के लिए डॉक्टर अनुपमा सिंह, आईओटी- कमोडिटी कैमरा की डाटा एनालिसिस विकसित करने के लिए डॉक्टर राजीव पांडे और प्राकृतिक फाइबर के क्षेत्र में शोध के लिए डॉक्टर मुर्गन कोट्टाईसामी को पुरस्कृत किया गया।      विज्ञान और प्रौद्योगिकी सचिव डॉक्टर रेनू स्वरूप ने यह पुरस्कार प्रदान किए। 

 

गौरतलब है कि प्रतियोगिता के तहत एक सौ से ज्यादा प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं। प्रवक्ता के मुताबिक इससे पहले महोत्सव के अंतर्गत उद्योग और शिक्षा जगत के बीच संवाद का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। खाद्य और कृषि क्षेत्र में उत्पन्न चुनौतियां और उनके वैज्ञानिक समाधान को लेकर आयोजित इस कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर एसआर राव, डॉक्टर रमेंश सोंटी, डॉक्टर विजय कुमार चोले और डॉक्टर जेपी शर्मा ने अपने शोध पत्र पढ़े।

 

वैज्ञानिकों ने कहा कि बढ़ती आबादी को भोजन मुहैया कराने में हर्बल नैनो तकनीक वाले उत्पादों की बड़ी भूमिका हो सकती है। उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी का पेट भरना एक बड़ी चुनौती है और इस क्षेत्र में काफी प्रयास की गुंजाइश है। डॉक्टर चोले ने कहा कि नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कारगर साबित होगा। इससे पैदावार में बढ़ोतरी होगी और खेती एक टिकाऊ कारोबार का रूप लेगी। 

 

प्रवक्ता ने बताया कि महोत्सव में स्वास्थ्य चुनौतियां और अवसर विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में डॉक्टर वाईके गुप्ता, डॉक्टर सुभाष कापड़े, डॉक्टर राम जयसुंदर, डॉक्टर शांति नायर और डॉक्टर जीवीएस मनियम सहित बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों ने अपने विचार व्यक्त किए।     

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