इंजीनियरिंग कॉलेजों में कम होंगी सीटें

Edited By bharti,Updated: 19 May, 2019 03:31 PM

seats will be reduced in engineering colleges

2019-20 में देशभर में डिप्लोमा, स्नातक या स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में 2.21 लाख सीटें कम की जाएंगी। आल इंडिया...

नई दिल्ली : 2019-20 में देशभर में डिप्लोमा, स्नातक या स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में 2.21 लाख सीटें कम की जाएंगी। आल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजूकेशन (एआईसीटीई) के अनुसार इस साल देश के 3660 विवि. और उनसे संबद्ध कॉलेज में डिप्लोमा कोर्स में सिर्फ 10 लाख 25 हजार 408 सीटें ही छात्रों को ऑफर की जा रहीं हैं। इसके अलावा इस साल 3122 विवि. और उनसे संंबद्ध कॉलेजों में स्नातक और परास्नातक की 14 लाख 66 हजार 114 सीटें को ही दाखिले के लिए खोला गया है। वहीं साल 2018 में डिप्लोमा कोर्सेस में 3779 यूनिवर्सिटी और कॉलेजों ने 11 लाख 25 हजार 214 और स्नातक व परास्नातक में 3241 विवि. और कॉलेजों ने 15 लाख 87 हजार 97 सीटें रखी गईं थीं।

एआईसीटीई ने कहा कि इस साल डिप्लोमा कोर्स, स्नातक और परास्नातक कोर्स की कुछ स्ट्रीमों में काउंसिल ने 54 हजार 618 नई सीटों को भी मंजूरी दी है। हालांकि इस साल यूजी और पीजी इंजीनियरिंग संस्थानों की कुल सीट क्षमता में 1.20 लाख सीटों से अधिक की गिरावट की गई है। इंजीनियरिंग की कुछ स्ट्रीम को छोड़कर, कॉलेजों ने उन पाठ्यक्रमों के लिए कक्षाएं जारी रखने से इनकार कर दिया है जो मांग में नहीं हैं। इसलिए महाराष्ट्र सहित 6 राज्यों को तकनीकी शिक्षा निदेशालय ने एआईसीटीई से अनुरोध किया है कि उनके राज्यों में किसी भी नए संस्थान को मंजूरी न दी जाए।
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बता दें 2018-19 सत्र में इंजीनियरिंग संस्थानों में खाली बची सीटों की संख्या 49.30 फीसद थी। इस संदर्भ में दिसम्बर में एक विशेष रूप से नियुक्त समिति ने नए इंजीनियरिंग कॉलेजों के एफिलिएशन पर दो साल का प्रतिबंध लगा दिया। जोकि साल 2020 से शुरू हो रहा है। इस कारण काउंसिल से इस साल नए कॉलेज शुरू करने वालों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। एआईसीटीई के निदेशक अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि अगले दो वर्षों में हम बड़े और स्थापित कॉलेजों के साथ रिक्त सीटों की संमस्या से जूझ रहे छोटे संस्थानों के साथ काम करेंगे।

 

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