Edited By Sonia Goswami,Updated: 30 Jul, 2018 11:01 AM
उत्तराखण्ड में स्किल इको सिस्टम का फ्रेमवर्क अगले दो माह में तैयार कर लिया जाएगा तथा राज्य में लगभग 40 लाख युवाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार के योग्य बनाने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से कार्ययोजना बनाई जाएगी।
देहरादूनः उत्तराखण्ड में स्किल इको सिस्टम का फ्रेमवर्क अगले दो माह में तैयार कर लिया जाएगा तथा राज्य में लगभग 40 लाख युवाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार के योग्य बनाने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से कार्ययोजना बनाई जाएगी। यहां मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के साथ उत्तराखंड में कौशल विकास की समीक्षा करते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि प्रदेश में 176 सरकारी आईटीआई हैं जो क्षेत्रफल एवं जनसंख्या को देखते हुए काफी अधिक हैं और इनका सदुपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस संबंध में प्रधान ने उद्योगों से टाईअप करने तथा उन्हें आईटीआई गोद लेने के लिए प्रेरित करने को कहा।
उन्होंने कहा कि उद्योग न केवल इन्हें अपग्रेड करें बल्कि वहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को प्लेसमेंट भी दें और इसमें केंद्र सरकार राज्य सरकार का पूरा सहयोग करेगी। केंद्रीय मंत्री ने इस संबंध में उत्तराखण्ड में पर्यटन से जुड़े लोगों के दक्षता विकास पर भी विशेष ध्यान देने को कहा तथा बताया कि होटल,रेस्टोरेंट, वाहन चालक, गाईड, आदि के स्किलिंग व रि-स्किलिंग करने की आवश्यकता है। इस संबंध में एक अध्ययन का हवाला देते हुए प्रधान ने कहा कि उत्तराखण्ड के लोग निजी नौकरी की अपेक्षा स्वरोजगार पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को युवाओं की इस अपेक्षा को पूरा होने में सहायक की भूमिका निभानी चाहिए।
मंत्री ने कहा कि अगले तीन वर्षों में युवाओं के कौशल विकास के लिए राज्य सरकार के एमएसएमई, विद्यालयी शिक्षा, उच्च शिक्षा, कौशल विकास, पर्यटन विभाग मिलकर स्किल इको सिस्टम की कार्ययोजना बनाकर उस पर समयबद्ध तरीके से काम करें। केंद्र सरकार इसमें पूरा सहयोग करने के लिए तत्पर है।
स्कूल स्तर से ही बच्चों को उनकी रूचि अनुसार कोई न कोई हुनर अवश्य सिखाया जाए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नेशनल हाईवे का काफी विस्तार हो रहा है और रोड साईड गतिविधियों के रूप में अनेक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार के लायक बनाने के लिए उनके दक्षता विकास की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी तथा दक्ष लोगों को मुद्रा लोन के माध्यम से पूंजी उपलब्ध करानी होगी।