रोक दें बाल मजदूरी मिट जाएगी बेरोजगारी

Edited By pooja,Updated: 23 Jun, 2018 11:00 AM

stop child labor will be unemployed

बाल मजदूरी से जुड़े कुछ आंकड़ों पर गौर करें - गैरसरकारी आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में आज भी करीब 16.8 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी के लिए अभिशप्त हैं।

नई दिल्ली:  बाल मजदूरी से जुड़े कुछ आंकड़ों पर गौर करें - गैरसरकारी आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में आज भी करीब 16.8 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी के लिए अभिशप्त हैं। यह संख्या दुनिया की 5 से 17 वर्ष तक की उम्र के बच्चों की 10 फीसदी आबादी के बराबर है। भारत सरकार की 2011 की जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक देश में 43.5 लाख बाल मजदूर हैं, जबकि गैरसरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 5 करोड़ बच्चों से मजदूरी कराई जा रही है। 


भारत ऐसा देश है जहां दुनिया के सबसे ज्यादा बाल मजदूर रहते हैं। यूनीसेफ  की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में दुनिया के करीब 12 फीसदी बाल मजदूर रहते हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में बच्चों की जनसंख्या (18 साल से कम उम्र) करीब 39 फीसदी है लेकिन केंद्रीय बजट का 4 फीसदी से भी कम हिस्सा ही उनकी, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर खर्च किया जाता है। जब भी बाल मजदूरी की बात होती है तो तर्क दिया जाता है कि गरीब का बच्चा काम नहीं करेगा तो खाएगा क्या? नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी दशकों से यह कहते आ रहे हैं कि बाल मजदूरी की वजह से ही गरीबी है। इसे खत्म कर हम गरीबी मिटा सकते हैं। दुनिया के तमाम अध्ययनों से अब यह साबित भी हो चुका है। कई देशों में गैरसरकारी अध्ययनों से यह बात निकल कर आई है कि मजदूरी करने वाले बच्चे बेरोजगार लोगों की ही संतानें होती हैं। 


बेरोजगारी और बाल मजदूरी में गहरा रिश्ता है। इसके अंतर-संबंधों को समझने के लिए बाल मजदूरी और बेरोजगारी के आंकड़ों पर गौर करें - दुनिया में करीब 16.8 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी करते हैं। जबकि बेरोजगारों की संख्या तकरीबन 20 करोड़ है। इसी तरह से भारत में गैरसरकारी आंकड़ों के मुताबिक तकरीबन 5 करोड़ बाल मजदूर हैं और तकरीबन इतनी ही संख्या बेरोजगारों की भी है। ब्राजील, नाईजीरिया, मेक्सिको व फिलीपिंस में हुए शोध से पता चलता है कि बाल मजदूर उन माता-पिताओं की ही संतानें होती हैं, जिन्हें साल में 100 दिनों तक रोजगार नहीं मिल पाता। 


अब जरा बाल मजदूरी का अर्थशास्त्र समझते हैं। दरअसल, बच्चे सस्ते मजदूर होते हैं। वयस्क मजदूरों की तुलना में उन्हें मामूली या न के बराबर मजदूरी की रकम दी जाती है। बच्चों से 17-18 घंटे तक काम भी कराया जा सकता है। नियोक्ता के लिए बाल मजदूर ज्यादा लाभकारी रहता है। इसी लालच में वह बाल मजदूरी को बढ़ावा देता है। इसके दूसरे पहलू पर विचार करें तो समझ में आता है कि अगर बाल मजदूरी न कराई जाए तो ऐसी स्थिति में इन बच्चों के माता-पिता को ही रोजगार मिलेगा। ऐसे में निष्कर्ष यह निकलता है कि अगर बाल मजदूरी पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाए तो ज्यादातर बेरोजगार व्यस्कों को रोजगार मिल सकता है। 

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