Edited By Riya bawa,Updated: 26 Sep, 2019 09:43 AM
आईटीओ के पास बने ‘द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया...
नई दिल्ली (अनामिका सिंह): आईटीओ के पास बने ‘द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया’ (आईसीएआई) का मुख्यालय बुधवार को ‘साड्डा हक, इत्थे रख’ व ‘हमें चाहिए रिचेकिंग’ के नारों से गूंज उठा। हजारों की संख्या में प्रदर्शन का हिस्सा बनने पहुंचे छात्र व शिक्षकों ने एक सुर से आईसीएआई के नियम 39(4) को बदले जाने की मांग की। जिसके चलते चार्टर्ड अकाउंटेट (सीए) की मई में आयोजित परीक्षा में पास छात्रों को भी गलती से फेल कर दिया गया है लेकिन रिचेकिंग का प्रावधान ना होने की वजह से छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। हालांकि आईसीएआई का प्रशासन इस बात को मान रहा है और खुद को बेबस बता रहा है।
छात्रों ने कहा कि सीए के छात्रों को एक जगह 14-15 घंटे बैठने की आदत होती है इसलिए हम डटे रहेंगे। आईसीएआई के सदस्य व शिक्षक सीए राजकुमार का कहना है कि प्रशासन की तरफ से हमसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की गई है। वहीं बुधवार को दोपहर तक प्रशासन पूरी तरह से नदारद रहा लेकिन शाम को आईसीएआई काउंसिल कमेटी के एक सदस्य सीए अनुज गोयल छात्रों के बीच आए। उनका कहना था कि आर्टिकल 39(4) में बदलाव जरूरी है। राजकुमार ने बताया कि साल 2017 में ऐसे ही 5 हजार छात्रों को फेल कर दिया गया, जोकि पास थे।
उत्तर पुस्तिका का जब मिलान आईसीएआई द्वारा दी गई सजैस्टिड आंसरशीट से किया गया तो इस गलती का पता लगा। जिसके बाद प्रशासन ने भविष्य में गलती को नहीं दोहराए जाने की बात कही थी लेकिन फिर इस साल यही गलती दोहराई गई है। उन्होंने बताया कि कई राजनीतिक दलों द्वारा समर्थन दिए जाने की बात कही जा रही है लेकिन हमारी लड़ाई घर की है और आईसीएआई हम सबका परिवार है इसलिए इसका राजनीतिकरण हम नहीं होने देंगे। हम सबकी लड़ाई साल 1948 में बनाए गए एक्ट व उसमें बनाए गए आर्टिकल 39(4) में बदलाव की है।