Edited By pooja,Updated: 07 Jan, 2019 11:14 AM
देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए आयोजित नीट (राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा) में पिछले साल (2018-19 सत्र) पहली बार अभ्यर्थियों से काउंसिलिंग के लिए पंजीकरण शुल्क लिया गया।
नई दिल्ली : देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए आयोजित नीट (राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा) में पिछले साल (2018-19 सत्र) पहली बार अभ्यर्थियों से काउंसिलिंग के लिए पंजीकरण शुल्क लिया गया।
अकेले पीजी की काउंसिलिंग के लिए 1 लाख 14 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने पंजीकरण किया और इसके जरिये सरकार के खाते में 6.72 करोड़ (6,72,19,000) रुपये आए। यह खुलासा एक आरटीआई के जरिए हुआ जोकि नीट काउंसिलिंग के संबंध में डाली गई थी। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले साल काउंसिलिंग प्रक्रिया पर सरकार की तरफ से 2.66 करोड़ (2,66,34,468 ) रुपए खर्चे गए। लेकिन इसके एवज में सरकार को अकेले पीजी की पंजीकरण फीस से ही 4 करोड़ से अधिक (4,05,84,532) राशि का फायदा हुआ।
बता दें कि पंजीकरण शुल्क के रूप में प्रत्येक अभ्यर्थी से 1000 रुपए लिए गए लेकिन प्रत्येक अभ्यर्थी से 1000 रुपए पंजीकरण शुल्क लेने का निर्धारण किस आधार पर किया गया इसकी कोई जानकारी ही नहीं है। जब जानकारी लेने की कोशिश की गई तो ये बात सामने आयी है कि पिछली बार नीट की काउंसिलिंग में भाग लेने के लिए पंजीकरण शुल्क लेने का निर्णय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की चिकित्सा परामर्श समिति की सहमति से लिया गया था। 2018 से पहले पंजीकरण के लिए अभ्यर्थियों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता था। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक 2018 में पंजीकरण शुल्क के रूप में सरकार के खाते में आए 6 करोड़ से अधिक पैसों को कहां और कैसे खर्च करना है फिलहाल इसकी कोई जानकारी नहीं है। न ही इस बारे में कोई दिशा-निर्देश तय किया गया है।