Edited By pooja,Updated: 05 Jun, 2018 03:56 PM
दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले में आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन होने से सबसे ज्यादा नुकसान यहां के सक्रिय छात्र संगठनों का हुआ है।
नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले में आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन होने से सबसे ज्यादा नुकसान यहां के सक्रिय छात्र संगठनों का हुआ है।
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया ने डीयू की छात्र राजनीति की रफ्तार को मंद कर दिया है। पहले दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के लिए जहां दाखिले की आवेदन प्रक्रिया शुरू होने के पहले दिन से ही संगठनों की तैयारियां दिखाई देनी लगती थी, वह अब पहली कटऑफ निकलने के बाद दिखाई देती हैं। पहले जब ऑफलाइन आवेदन होता था, तो बड़ी संख्या में दिल्ली सहित देशभर के विभिन्न राज्यों के छात्र फॉर्म भरने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय पहुंचते थे। नए आने वाले छात्रों को लुभाने के लिए छात्र संगठन किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ते थे। हेल्पडेस्क के साथ ही पूरा नॉर्थ कैम्पस आगामी डूसू चुनाव के संभावित प्रत्याशियों के नए छात्रों के स्वागत में होर्डिंग और पोस्टर से भर दिया जाता था।
नए छात्रों को दाखिला होने से पहले ही अपने से जोडऩे के लिए छात्र संगठन एड़ी-चोटी का जोर लगाए रखते थे। मगर अब ऑनलाइन प्रक्रिया होने के चलते छात्र संगठनों के पास अब नए छात्रों को लुभाने के लिए पहले जितना मौका नहीं रहा है। अब छात्र दाखिला होने से पहले केवल ओपन-डे में शामिल होने के लिए आते है, हालांकि इस दौरान भी छात्र संगठन अपनी हेल्पडेस्क लगाते हैं, मगर उतनी भीड़ अब हेल्पडेस्क पर नहीं दिखाई देती जितनी पहले दिखाई देती थी। अब संगठनों को छात्रों को सही से लुभाने और अपने से जोडऩे का मौका पहली लिस्ट के बाद मिलता है, जब छात्र दाखिला लेने के लिए कॉलेजों में आते है। जबकि पहले छात्र दाखिला फॉर्म भरने के लिए ही कई बार चक्कर लगाते थे।