स्कूल का गजब खेल: छात्र ना पास है ना फेल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jul, 2018 10:46 AM

students do not know fail or pass

स्कूलों के काम करने के तौर तरीके कभी-कभी इतने हैरान करने वाले होते हैं कि पूछिए मत। ऐसा ही मामला दिल्ली सरकार के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बाल

नई दिल्ली(अनामिका सिंह) : स्कूलों के काम करने के तौर तरीके कभी-कभी इतने हैरान करने वाले होते हैं कि पूछिए मत। ऐसा ही मामला दिल्ली सरकार के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बाल विद्यालय नंबर-1, मोहन गार्डन में आया है जोकि शिक्षा विभाग के पश्चिमी जिला बी के अंतर्गत आता है। इस स्कूल की 11वीं कक्षा में पढऩे वाले छात्र करण ने फेल होने के बाद स्कूल प्रशासन से स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) मांगा, एसएलसी में उसे पास घोषित कर दिया। इतना ही नहीं, अपनी गलती को छुपाने के लिए जब स्कूल प्रशासन ने छात्र को दूसरा एसएलसी दिया तो उसमें उसके पास या फेल होने की जानकारी नहीं दी, इसके चलते छात्र को कहीं भी दाखिला नहीं मिल पा रहा है। वहीं छात्र भी असमंजस की स्थिति में है और गुहार लगा रहा है कि उसे बताया जाए कि वो पास है या फिर फेल।

छात्र करण, स्कूल में 11वीं एफ कक्षा का छात्र था और इसी साल वार्षिक परीक्षा के दौरान फेल हो गया। करण का स्कूल स्टूडेंट आईडी नंबर 20100071242 है। फेल होने के बाद उसने पत्राचार माध्यम से आगे की पढ़ाई करने का मन बनाया और एसओएल में आवेदन किया। 

एसओएल ने उससे उसका एसएलसी मांगा, जब छात्र ने अधिकारी के समक्ष एसएलसी पेश किया, तब अधिकारी ने यह कह कर उसे दाखिला देने से साफ इंकार कर दिया कि कागजात में मिलान नहीं है क्योंकि रिपोर्टकार्ड में उसे फेल और एसएलसी में पास दिखाया गया है। बता दें कि, छात्र को पहली बार दिए गए एसएलसी को स्कूल ने 21 जून को जारी किया था। इसका एसएलसी आईडी नंबर 1971637 है, इस एसएलसी में छात्र पास है। वहीं जब छात्र के शिकायत करने पर उसे स्कूल द्वारा दोबारा एसएलसी 2 जुलाई को जारी किया गया जिसका नंबर 1981758 उसमें छात्र पास है या फेल इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं दी गई है। 

कागजात में मिलान नहीं होने की वजह से छात्र को कहीं भी दाखिला नहीं मिल पा रहा है। करण का कहना है कि, उसने स्कूल में दाखिला इंचार्ज से कई बार गुहार लगाई है कि उसकी उत्तरपुस्तिका की दोबारा जांच कर उसे बताया जाए कि वो पास है या फेल। उसने इस बाबत कई बार प्रधानाचार्य से भी मिलने की कोशिश की लेकिन उसे मिलने नहीं दिया गया, अब छात्र को अपने भविष्य की चिंता सता रही है।

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