अब कालेज-विवि नहीं रख सकेंगे छात्रों के मूल प्रमाणपत्र

Edited By Sonia Goswami,Updated: 11 Oct, 2018 10:08 AM

students will no longer be able to keep the original certificate

अब कालेज एवं विश्विद्यालय दाखिले के समय छात्रों के मूल प्रमाणपत्र नहीं रख सकेंगे और उन्हें केवल एक सेमेस्टर की फीस जमा करनी होगी, उनसे अन्य सेमेस्टरों की अग्रिम फीस नहीं ली जाएगी।  मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को यहां इस बारे...

नई दिल्लीः अब कालेज एवं विश्विद्यालय दाखिले के समय छात्रों के मूल प्रमाणपत्र नहीं रख सकेंगे और उन्हें केवल एक सेमेस्टर की फीस जमा करनी होगी, उनसे अन्य सेमेस्टरों की अग्रिम फीस नहीं ली जाएगी।  मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को यहां इस बारे में विश्विद्यालय अनुदान आयोग की नई अधिसूचना जारी करते हुए पत्रकारों को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पहले जब उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्र दाखिला लेते थे तो उनके मूल अंक पत्र, डिग्री और अन्य प्रमाण पत्र रख लिए जाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। 

छात्रों के मूल प्रमाणपत्रों और डिग्रियों की जांच करने के बाद उन्हें लौटा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि छात्रों को पहले दाखिले के समय सभी सेमेस्टर या पूरे पाठ्यक्रम की फीस जमा करनी होती थी लेकिन अब छात्र केवल एक सेमेस्टर की फीस शुरू में जमा करेंगे और उनसे अन्य सेमेस्टरों की फीस अग्रिम नहींली जाएगी। 

छात्रों की शिकायत होती थी कि वे अगर दूसरे उच्च शिक्षा संस्थान में दाखिला लेना चाहते हैं तो उनकी अग्रिम फीस नहीं लौटाई जाती है। कई बार किसी छात्र का किसी कालेज में दाखिला हो गया और दो दिन बात किसी और जगह दाखिला हो गया तो कालेज एवं विश्विद्यालय वाले फीस नही लौटाते थे इसलिए यूजीसी ने फीस लौटाने का नियम बना दिया है। 


श्री जावड़ेकर ने कहा कि पन्द्रह दिन या दाखिले की अंतिम तिथि से पहले कोई छात्र अपना नाम वापस लेता है तो उसे सौ प्रतिशत फीस वापसी होगी और केवल पांच प्रतिशत राशि काटी जाएगी जो अधिकतम पांच हजार होगी। इस तरह अलग-अलग समयावधि में 90 प्रतिशत, 80 प्रतिशत और 50 प्रतिशत फीस लौटाने की श्रेणियां बनायी गयी हैं। लेकिन दाखिले की अंतिम तिथि के तीस दिन बाद फीस बिलकुल नही लौटायी जाएगी।  

 

उन्होंने बताया कि इसमें सिक्योरिटी या जमानती राशि शामिल नहीं है। आवेदन प्राप्त होने के 15 दिन के भीतर फीस लौटानी होगी। श्री जावड़ेकर ने कहा कि अगर कोई संस्थान इन नियमों का पालन नहीं करता तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उसका अनुदान भी रोका जा सकता है तथा उसकी मान्यता रद्द करने के बारे में अनुशंषा भी की जा सकती है।  

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