Edited By Riya bawa,Updated: 29 Jul, 2019 10:57 AM
जिंदगी में हौसले बुलंद हो तो हरेक काम...
नई दिल्ली: जिंदगी में हौसले बुलंद हो तो हरेक काम मुश्किल नहीं लगता और इंसान इन सब को पीछे छोड़ कर अपने सपने की ओर आगे बढ़ता है और कामयाबी हासिल करते है। ऐसे ही एक व्यक्ति की बात करने जा रहे है जिसकी कामयाबी ने सब लोगों को हैरत में डाल दिया है। बता दें कि यह व्यक्ति गुजरात के रहने वाले अरुण वाल्वी की है जिसने पीएचडी का एंट्रेंस एग्जाम क्लीयर किया है।
बता दें कि अरुण वाल्वी, 34 साल के हैं और वीर नर्मद साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के ऑफिस में चपरासी का काम करते हैं। उनकी एक साल की बेटी है और पत्नी सूरत पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी करती हैं। अरुण वाल्वी, दक्षिणी गुजरात के आदिवासी क्षेत्र के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने पीएचडी की परीक्षा पास की है।
200 में से 110 स्कोर किए हासिल
वाल्वी ने 10 जून को PhD का एंट्रेंस एग्जाम क्लीयर किया। उन्होंने 200 में से 110 स्कोर हासिल किया है। वाल्वी ने गुजराती भाषा में ही यह परीक्षा दी थी। वाल्वी जिस कस्बे में रहते हैं वह पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने पीएचडी की परीक्षा पास की है। वह भले ही छोटे से कस्बे में रहते हैं, पर ख्वाब बड़े देखते हैं।
पेट्रोल पंप पर काम कर निकाला पढ़ाई का खर्च
अरुण के माता-पिता मजदूरी करते हैं वह पढ़े लिखे नहीं हैं। इस व्यक्ति ने पढ़ाई को पूरा करने और खर्च निकालने के लिेए पेट्रोल पंप पर काम शुरू कर दिया।
अरुण के माता-पिता के पास बहुत कम जमीन थी, इसलिये पढ़ाई के लिये उन्हें खुद ही काम करना था।
प्रोफेसर बनने की चाहत
आज के आधुनिक समय में लोग बहुत भागदौड़ कर रहे है लेकिन वह उस दौड़ से अलग होकर और आगे निकलना चाहते है। विपरीत परिस्थियों के बावजूद, अपनी जीवन में हौसले बुलंद रखकर वह पीएचडी पूरा कर प्रोफेसर बनना चाहते थे।
पीएचडी की तैयारी
अरुण इन दिनों पीएचडी के लिये प्रेजेंटेशन तैयार करने में व्यस्त हैं। वह चपरासी की नौकरी भी करते हैं, जिससे उन्हें हर महीने 13000 रुपये की आय हो जाती है। अरुण की पत्नी सविता को अभी डेढ़ साल पहले ही कांस्टेबल की नौकरी मिली है। उनकी एक साल की बेटी है वीरा. अरुण वीरा और सविता को अपने जीवन की प्रेरणा मानते हैं।