Edited By bharti,Updated: 17 May, 2019 05:39 PM
उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी)-2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी...
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी)-2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण की मांग कर रही याचिका पर वीरवार को केन्द्र और सीबीएसई से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अवकाश कालीन पीठ ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के कुछ याचिकाकर्ताओं की याचिका पर केन्द्र और सीबीएसई को नोटिस जारी किए। केन्द्र और सीबीएसई को इस मामले की अगली सुनवाई एक जुलाई तक अपने जवाब दाखिल करना है। याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से कहा कि सीबीएसई ने सीटीईटी-2019 के लिये 23 जनवरी, 2019 को जो विज्ञापन प्रकाशित किया है उसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिये दस फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया है।
इन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि याचिका यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की गई है कि आॢथक रूप से कमजोर वर्ग को भी अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग की तरह ही लाभ मिल सके। हालांकि इस मामले की 13 मई को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा था कि परीक्षा में पात्रता के लिये किसी प्रकार का आरक्षण नहीं हो सकता क्योंकि प्रवेश के दौरान ही इसका लाभ मिल सकता है। पीठ ने कहा था कि परीक्षा की अधिसूचना अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गो को भी किसी तरह का आरक्षण नहीं देती है। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में सीबीएसई की अधिसूचना को चुनौती देते हुए कहा है कि इससे संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। संविधान के 103वें संशोधन के माध्यम से समाज के आॢथक रूप से कमजोर वर्ग को रोजगार और शिक्षा के मामले में दस प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है।
16 जनवरी से प्रभावी
यह संशोधन इस साल 16 जनवरी से प्रभावी हुआ है। याचिका में कहा गया है कि आर्थिक रूप से पिछडे वर्ग के प्रत्याशियों को इस आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। उन्हें इस आरक्षण के तहत फीस में छूट और ज्यादा प्रयास की व्यवस्था दी जाए। बता दें कि देश भर में 7 जुलाई 2019 को सीटीईटी परीक्षा आयोजित होनी है।