Teacher day गुरुब्र्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:

Edited By pooja,Updated: 05 Sep, 2018 09:56 AM

teacher day special

गुरु अच्छे इंसान का निर्माण करता है इसलिए प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर के दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। छात्र भी इस दिन अपने

गुरु अच्छे इंसान का निर्माण करता है इसलिए प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर के दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है। छात्र भी इस दिन अपने शिक्षकों को सम्मानित करते हैं और उनके द्वारा दी गई प्रेरणा को ग्रहण करने का संकल्प लेते हैं। ऐसे में यह दिन छात्रों के लिए विशेष महत्व रखता है। शिक्षक सिर्फ एक छात्र का जीवन ही नहीं संवारता है बल्कि पूरी एक पीढ़ी को अपना ज्ञान और विचार प्रदान करता है। अगर हमें एक अच्छा शिक्षक मिल जाए तो पूरी जिंदगी में हमें कभी अज्ञानता का शिकार होकर भटकना नहीं पड़ेगा और हम अपना मार्ग खुद प्रशस्त कर सकते हैं। ऐसे में इस दिवस को हम आपके अनुभवों से साझा कर रहे हैं।


शिक्षक समाज में उच्च आदर्श स्थापित करने वाला व्यक्तित्व होता है। किसी भी देश या समाज के निर्माण में शिक्षा की अहम भूमिका होती है। शिक्षक के लिए कहा गया है कि ‘आचार्य देवो भव:’ यानी कि शिक्षक या आचार्य ईश्वर के समान होता है। यह दर्जा एक शिक्षक को उसके द्वारा समाज में दिए गए योगदानों के बदले दिया जाता है। जो बनाए हमें इंसान और दे सही-गलत की पहचान, देश के उन निर्माताओं को मैं करता हूं शत-शत प्रणाम!

-विशाल पाठक, ओखला जामिया नगर

 

शिक्षक एक खूबसूरत किताब है। जिनके पास अनुभव का भंडार है। मेरे जीवन में एक गुरु मुझे ऐसी मिली जो मेरे लिए भगवान हैं। लोगों को पत्थर में भगवान मिला। मुझे मेरी अध्यापिका (प्रभा यादव) में क्योंकि सच में शिक्षक वही हैं जिन्होंने मुझे जिंदगी का पाठ सिखाया। उन्होंने कहा था कि अच्छा लिखती हो एक डायरी बना ले। इस बात से मुझे हौसला मिला और आज मैं जहां भी हूं अपनी अध्यापिका की वजह से हूं।                            

-कार्तिका सिंह, तिगड़ी एक्स.

 

एक शिक्षक अपने जीवन के अंत तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को सही राह दिखाता है, तभी शिक्षक को समाज में उच्च दर्जा दिया जाता है। माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं। उनका स्थान कोई नहीं ले सकता, उनका कर्ज हम किसी भी रूप में नहीं उतार सकते। लेकिन एक शिक्षक को माता-पिता के बराबर दर्जा दिया जाता है, क्योंकि शिक्षक ही हमें समाज में रहने योग्य बनाता है, इसलिए ही शिक्षक को ‘समाज का शिल्पकार’ कहा जाता है।                           -वंदना मिश्रा, गाजियाबाद
 

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