गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर:।

Edited By pooja,Updated: 05 Sep, 2018 03:06 PM

teachers day special

एक व्यक्ति के जीवन में जन्म दाता से ज्यादा महत्व शिक्षक का होता हैं क्यूंकि ज्ञान ही व्यक्ति को इंसान बनाता हैं जीने योग्य जीवन देता है और वह ज्ञान सिवाए एक

गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर:।
गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:॥

 

एक व्यक्ति के जीवन में जन्म दाता से ज्यादा महत्व शिक्षक का होता हैं क्यूंकि ज्ञान ही व्यक्ति को इंसान बनाता हैं जीने योग्य जीवन देता है और वह ज्ञान
सिवाए एक शिक्षक के कोई नहीं बांट सकता। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। इसको मनाने के पीछे का कारण सभी जानते होंगे की इस दिन आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्‍णनन का जन्मदिन आता है .डॉ. राधाकृष्‍णनन एक टीचर भी थे। उपराष्ट्रपति बनने के बाद इन्होंने जब राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाली तो 5 सितंबर को उनके जन्मदिन पर कुछ पूर्व स्टूडेंट बधाई देने पहुंचे। ये सब डॉ. राधाकृष्‍णनन का जन्मदिन मनाना चाहते थे। लेकिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्‍णनन ने कहा कि मेरा जन्मदिन मनाने की बजाय आप इस दिन को 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाए, यह बात उन्होंने खुद को याद करने के उद्देश्य से नहीं अपितु शिक्षक को सम्मान देने के उद्देश्य से कही ताकि अन्य देशों की भांति भारतवर्ष में भी "शिक्षक दिवस" मनाया जा सके व इस बहाने शिक्षक को सम्मानित किया जा सके। आज के परिदृश्य में सच मे ही क्या एक शिक्षक को सम्मानित करने के लिए इस दिन की उपयोगिता रह गई है? क्या सच मे आज का विद्यार्थी "शिक्षक दिवस" पर अपने शिक्षक को सम्मानित करना चाहता है। पुरातन काल में गुरू द्रोणाचार्य ने पांडव-पुत्रों विशेषकर अर्जुन को जो शिक्षा दी, उसी की बदौलत महाभारत में पांडव विजयी हुए। वह स्वयं कौरवों की तरफ से लड़े पर कौरवों को विजय नहीं दिला सके। पांडवों को दी शिक्षा खुद उन पर भी भारी पड़ गई। भारत में गुरू-शिष्य की बड़ी लंबी परंपरा रही है। पहले राजकुमार भी गुरूकुल में ही जाकर शिक्षा ग्रहण करते थे और विद्यार्जन के साथ-साथ गुरू की सेवा भी करते थे। राम-विश्वामित्र, कृष्ण-संदीपनी, अर्जुन-द्रोणाचार्य से लेकर चंद्रगुप्त मौर्य-चाणक्य एवं विवेकानंद-रामकृष्ण परमहंस आदि शिष्य-गुरू की एक ऐसी परंपरा रही है जो एक शिक्षक व शिष्य के लिए मार्गदर्शी शिक्षा की भूमिका निभाने में अहम योगदान अदा करती है।

वर्तमान परिदृश्य में शिक्षक इन बातों से कोसों दूर जा रहा है। उसकी साख दिन ब दिन गिर रही है ऐसा प्रतीत होता है कि वह अपना उत्थान तो किसी भी कीमत पर चाहता है परंतु जिस उद्देश्य के लिए वह शिक्षा जैसे इस नेक कार्य के लिए अपने कर्म क्षेत्र में आया वह उससे कोसों दूर जा रहा है। इसमें कभी वह व्यवस्था को
दोष देता है तो कभी समाज को लेकिन अपने दोष पर चाहते हुए भी नजर नहीं दौड़ाना चाहता आखिर क्यों? आए दिन शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों के साथ या
विद्यार्थियों द्वारा शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें पढ़ने सुनने को मिलती रहती है। कभी-2 तो पवित्र रिश्ते की हदों को पार कर शिक्षकों को अपनी ही
छात्राओं से अश्लील हरकतों में लिप्त पाए जाने की खबरों से उस शिक्षक का मनोबल व आत्मसम्मान भी चकनाचूर हो जाता है जो बस अपने शिक्षण को ही सबकुछ मान चुका है। कभी सुनने को मिलता है कि शराब के नशे में चूर शिक्षक विद्यालय में पहुंचे, कभी देखा जाता है कि शिक्षक विद्यालय में होकर भी अपने शिक्षण में कोताही बरतते हैं। हद तो तब हो जाती है जब छोटे-2 बच्चों में भी प्राथमिक स्तर पर जातिगत भेद-भाव सामने आता है। बेशक सभी शिक्षक ऐसे कृत्यों में संलिप्त नहीं होते लेकिन जो होते हैं उनकी वजह से साख तो प्रत्येक शिक्षक की गिरती है।
 "शिक्षक दिवस" जैसे पावन पर्व की महत्ता तभी बरकरार रह पाएगी जब गुरु और शिष्य दोनों अपनी-2 जिम्मेदारी व कर्तव्यों का इमानदारी से निर्वाह
कर पाएंगे अन्यथा प्रतिवर्ष ऐसे ही कई "शिक्षक दिवस" आएंगे व जाएंगे।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!