Edited By pooja,Updated: 24 Aug, 2018 10:39 AM
सरकारी स्कूलों में विभाग द्वारा दी जाने वाली अध्यापकों को प्लानिंग डायरी अभी तक नहीं दी गई है, जिस कारण अध्यापक पिछले वर्ष की डायरी से या फिर अन्य तरीकों
वेस्ट दिल्ली: सरकारी स्कूलों में विभाग द्वारा दी जाने वाली अध्यापकों को प्लानिंग डायरी अभी तक नहीं दी गई है, जिस कारण अध्यापक पिछले वर्ष की डायरी से या फिर अन्य तरीकों से काम चलाने को मजबूर हैं। अध्यापकों का कहना है कि पिछले चार महीनों का ब्योरा इधर-उधर कागजों में अपडेट किया जा रहा है, जो कि डायरी मिलने पर उसमें एक बार फिर से चढ़ाना बेहद मुश्किल होगा। उधर, विभाग की ओर से जल्द ही डायरी प्रिंट होने की बात कही जा रही है। लेकिन प्रिंटिंग कब खत्म होगी और अध्यापकों को डायरी दी जाएगी, इसका कोई जवाब नहीं मिल रहा है।
शिक्षा विभाग द्वारा अध्यापकों को हर वर्ष एक प्लानिंग डायरी मुहैया कराई जाती है। नए सत्र की शुरुआत में मिलने वाली इस डायरी में अध्यापकों को विभाग द्वारा कई दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। जिनके अनुसार ही पूरे सत्र में काम करना होता है। डायरी को समय-समय पर स्कूल प्रिंसिपल और निरीक्षण के दौरान अधिकारी चेक करते हैं, लेकिन इस वर्ष डायरी न मिलने के कारण शिक्षकों को काफी परेशान होना पड़ रहा है। नाम न छापने की शर्त पर एक अध्यापक ने बताया कि पिछले वर्ष की डायरी होने के कारण उन्हें कॉपियों पर या फिर अन्य कागजों पर प्लानिंग का ब्योरा तैयार करना पड़ रहा है। अध्यापकों का कहना है कि विभाग द्वारा डायरी अप्रैल में या फिर जुलाई के पहले सप्ताह तक दे दी जाती थी। बच्चे के करिकुलम एक्टीविटी में प्रतिभाग करने का भी ब्योरा अध्यापक को समय-समय पर डायरी में लिखना होता है। पढ़ाई में अच्छे और कमजोर बच्चों की भी लिस्ट, उनके रिजल्ट, एक्टीविटीज, प्रोजेट्स और पीटीएम की भी पूरी जानकारी डायरी में अपडेट करना होता है। साथ ही विभाग द्वारा भविष्य में और भी तमाम तरीके के फरमान जारी होते हैं, जो डायरी में अध्यापकों को लिखना आवश्यक होता है।
बच्चों से संबंधित छोटी से बड़ी हर एक बात अध्यापकों को लिखनी होती हैं। इस तरह के अनावश्यक कार्यों के बोझ के बीच बच्चों को शिक्षित करना काफी मुश्किल होता है। इस मामले में शिक्षा मंत्री के जन सम्पर्क अधिकारी अमरदीप ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और शिक्षा विभाग के अधिकारी प्रिंटिंग होने की बात कहते नजर आए।