पंजाब सरकार ने फिर स्थगित की टीचर्स गेम्स,जानें कब होगा नया शेड्यूल

Edited By ,Updated: 10 Jan, 2019 01:38 PM

teachers schools to get punished from punjab government again postponed

पंजाब सरकार की और से राज्य में पहली बॉर करवाई जाने वाली अध्यापकों की खेलें दूसरी बार स्थगित कर दी गई हैं।

लुधियाना(विक्की): पंजाब सरकार की और से राज्य में पहली बॉर करवाई जाने वाली अध्यापकों की खेलें दूसरी बार स्थगित कर दी गई हैं। बता दें कि इन खेलों का आयोजन लुधियाना में 11 से 13 जनवरी तक होना था। बताया जा रहा है कि विभाग के आला अधिकारियों ने प्रिंसीपलों को जिलों से पहुंचने वाले करीब छह हजार से अधिक शिक्षकों की 'मेहमाननवाजी के लिए फंड जुटाने का फरमान जारी किया था लेकिन कोई फंड जारी नहीं हुआ जिसके चलते खेलों को फिर से स्थगित करना पड़ा। इन खेलों में सभी जिलों से 5000 अध्यापकों ने इन खेलों में भाग लेना था।

 

 बता दें कि इन खेलों में भाग लेने वाले अध्यापकों ने अपनी जेब से पैसे खर्च कर नए ट्रैक सूट और अन्य साजो-सामान खरीदा था जो अब उनकी अलमारी का शृंगार बनकर रह जाएगा। हालांकि विभाग ने इन खेलों को टालने के लिए जो पत्र जारी किया है उसमें बच्चों के पेपर और लोहड़ी का त्यौहार निकट होने का हवाला दिया गया है जबकि इस बात पर गौर किया जाए कि परीक्षाएं व लोहड़ी का त्यौहार उस समय पर भी सरकार के कैलेंडर में शामिल थे जिस समय अध्यापकों की खेलें 11 से 13 जनवरी तक करवाने के दूसरी बारी आदेश जारी किए गए थे। 


अध्यापकों पर ही डाला जा रहा खेलें करवाने का बोझ 
बता दें कि सरकार ने उक्त खेलों को करवाने के लिए आदेश तो दे दिए थे परन्तु फंड के तौर पर एक रुपया भी जारी नहीं किया था। इसके उपरांत यह भी चर्चा सुनने को मिली थी कि अध्यापक खेल करवाने का बोझ अध्यापकों पर ही डाला जा रहा है। इसके लिए अध्यापकों को दानी सज्जनों और आपसी भाईचारे में से उक्त खेलों के लिए कुछ न कुछ फंड इक_ा करने के लिए मौखिक आदेश जारी किए गए थे। यहीं बस नहीं, इन खेलों में भाग लेने वाले 5 हजार अध्यापकों के खाने-पीने का वित्तीय बोझ भी प्रबंध करने वाले अधिकारियों के कंधों पर डाला गया था। ये बातें जब सरकार के ध्यान में आईं तो पिछले 3 दिनों से इन खेलों के लिए फंड जारी करने की चर्चा भी सुनने को मिली परन्तु आज खेलों के अगले आदेशों तक मुल्तवी होने से उक्त चर्चाओं पर भी विराम लग गया है। 


अधिकारी फैसले से खुश, अध्यापकों में मायूसी
कहीं न कहीं अधिकारी जहां उक्त फैसले से अंदर से खुश हैं वहीं अध्यापकों को एक बार फिर मायूसी का सामना करना पड़ा है क्योंकि इन खेलों को लेकर अध्यापकों की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं और खेलों में भाग लेने के लिए कई अध्यापकों ने अपने निजी प्रोग्राम भी मुल्तवी किए/छोड़े थे।  
 

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