पैर से लिखने वाले आदिवासी दिव्यांग को कई स्कूलों के चक्कर लगाने के बाद मिला दाखिला

Edited By Sonia Goswami,Updated: 10 Aug, 2018 12:26 PM

tribal divyang who wrote with foot got admission after struggle

मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल बड़वानी जिले में रहने वाले पारसिंह परिहार के लिए कक्षा नौ में दाखिले का संघर्ष आसान नहीं रहा। दोनों हाथों से लाचार होने के कारण पैर से लिखने की विलक्षण प्रतिभा विकसित करने वाले आदिवासी छात्र को कई विद्यालयों के चक्कर लगाने...

इंदौरः  मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल बड़वानी जिले में रहने वाले पारसिंह परिहार के लिए कक्षा नौ में दाखिले का संघर्ष आसान नहीं रहा। दोनों हाथों से लाचार होने के कारण पैर से लिखने की विलक्षण प्रतिभा विकसित करने वाले आदिवासी छात्र को कई विद्यालयों के चक्कर लगाने के बाद आखिरकार एक सरकारी स्कूल में दाखिला नसीब हो सका। वह भी तब, जब दिव्यांग बालक ने जिला प्रशासन से मदद की मार्मिक गुहार लगाते हुए कहा कि वह आगे पढऩा चाहता है।   पारसिंह (14) को स्कूल में दाखिला दिलाने के बाद अब प्रशासन उन शैक्षणिक संस्थाओं के खिलाफ जांच कर रहा है जिन्होंने जनजातीय समुदाय के दिव्यांग छात्र को प्रवेश देने से मना किया था।  


जिलाधिकारी अमित तोमर ने बताया कि उन्होंने पारसिंह का दाखिला बड़वानी के एक सरकारी स्कूल में करा दिया है। इसके साथ ही, शिक्षा विभाग के जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) को आदेश दिया गया है कि वह जांच कर पता लगाएं कि संबंधित स्कूलों ने उसे दाखिला देने से किस आधार पर इंकार किया था। उन्होंने कहा कि मामले की जांच रिपोर्ट के आधार पर उचित कदम उठाए जाएंगे।   अम्बापानी गांव के निवासी पारसिंह को शारीरिक विकृति के कारण स्पष्ट बोलने में भी तकलीफ होती है। अपने गांव के शासकीय मिडिल स्कूल से 8वीं पास करने के बाद वह तमाम प्रयासों के बावजूद किसी भी विद्यालय में नौवीं में दाखिला पाने में नाकाम रहा। थक-हारकर उसने सात अगस्त को जन सुनवाई (आम लोगों द्वारा जिला प्रशासन को अपनी समस्याएं दर्ज कराने की साप्ताहिक सरकारी व्यवस्था) में गुहार लगाई और दिव्यांगता के कारण हुए कथित भेदभाव की आपबीती सुनाई।   

 

आदिवासी छात्र ने अपने आवेदन में कहा, मैं गरीब परिवार से ताल्लुक रखता हूं और आठवीं में पास होने के बाद आगे पढऩा चाहता हूं  लेकिन मुझे किसी भी शैक्षणिक संस्था में दाखिला नहीं दिया जा रहा है। मुझे न तो सरकारी, न ही निजी स्कूल में प्रवेश दिया जा रहा है। मास्टरों का कहना है कि मैं पैर से लिखता हूं, इसलिए मुझे प्रवेश नहीं दिया जाएगा। बहरहाल, इस अर्जी पर सरकारी तंत्र में हुई हलचल के कारण पारसिंह को बड़वानी के शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक दो की कक्षा-नौ में प्रवेश मिल गया है।   

 

स्कूल के प्राचार्य इकबाल आदिल ने बताया, हमारे स्कूल में दाखिला पाकर पारसिंह बेहद खुश है। वह सामान्य बच्चों के साथ ही पढ़ाई कर रहा है। उन्होंने कहा, पारसिंह की लिखावट देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि वह पैर से लिखता है। हम स्कूल में उस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। 

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