Edited By Sonia Goswami,Updated: 05 Sep, 2018 01:00 PM
कहते हैं अध्यापक उस चिराग की तरह होता है, जो खुद जल कर अन्य के जीवन में रौशनी भरता है।
नाभा : कहते हैं अध्यापक उस चिराग की तरह होता है, जो खुद जल कर अन्य के जीवन में रौशनी भरता है। पंजाब के नाभा के हरिन्दर सिंह ग्रेवाल और लुधियाना के गांव स्यूड़ा के सरकारी स्कूल के अध्यापक किरनदीप सिंह टीवाना भी कुछ ऐसी ही शख्सियते हैं। जिनकी कोशिशों और पढ़ाने के बेहतरीन तरीके सदका उन्हें भारत सरकार की तरफ से राष्ट्रीय अवार्ड के लिए चुने गए 45 अध्यापकों में शामिल किया गया है। पंजाब की तरफ से यह दोनों अध्यापक ही राष्ट्रीय अवार्ड के लिए चुने गए हैं। पांच सितम्बर यानि कि आज अध्यापक दिवस पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू दोनों अध्यापकों को सम्मानित करेंगे।
नाभा के सरकारी प्राथमिक स्कूल में जहां कई माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते थे वहां हरिन्दर सिंह ग्रेवाल ने सोशल मीडिया द्वारा स्कूल की नुहार बदल डाली। दानी सज्जनों से 15 लाख तक की सहायता लेकर स्कूल इस स्तर का बना दिया कि अब यह प्राईवेट स्कूलों को मात देता है।
यही बात लुधियाना के गांव स्यूड़ा के सीनियर सैकेंडरी स्कूल के अध्यापक किरनदीप सिंह टिवाना पर भी स्टीक बैठती है। किरनदीप ने अपने अनोखे तरीकों सदका गणित विषय को इतना रोचक बना दिया कि इस स्कूल के बच्चे गणित में नेशनल स्तर तक जा चुके हैं। दोनों अध्यापकों को पहले स्टेट अवार्ड भी मिल चुका है।