हंगामेदार रही यूजीसी रेगुलेशन कमेटी की बैठक

Edited By pooja,Updated: 25 Sep, 2018 10:09 AM

ugc regulatory committee meeting

दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी की सोमवार को हुई बैठक काफी हंगामेदार रही। चुनिंदा मुद्दों को छोड़ दिया जाए तो बैठक में प्रत्येक मुद्दे पर जबरदस्त विवाद हुआ।

नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी की सोमवार को हुई बैठक काफी हंगामेदार रही। चुनिंदा मुद्दों को छोड़ दिया जाए तो बैठक में प्रत्येक मुद्दे पर जबरदस्त विवाद हुआ। इस बैठक में निर्वाचित प्रतिनिधियों ने शिक्षक हित के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। तीन घंटे से अधिक चली इस बैठक में कई विवादास्पद मुद्दों पर चर्चा हुई। 

इस बैठक में उच्च स्तरीय कमेटी के सदस्य प्रोफेसर हंसराज सुमन और डॉ. रसाल सिंह ने शिक्षकों को 65 साल की आयु में सेवानिवृति के बाद 5 साल के लिए कॉन्ट्रेक्ट पर सेवा विस्तार देने का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने बताया कि इससे शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली युवा पीढ़ी के लिए संभावनाएं कम हो जाएंगी और विश्वविद्यालय में कॉन्ट्रेक्ट अपॉइंटमेंट का रास्ता खुल जाएगा जो कि उच्च शिक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा साबित होगा। इन मुद्दों के साथ-साथ बैठक में प्रत्येक कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल की नियुक्तिको अनिवार्य बनाए जाने को बैठक में मौजूद सदस्यों ने इस कदम को स्वागत योग्य कदम बताया गया। वहीं, उसकी प्रक्रिया को पारदर्शी व भेदभाव रहित बनाने को लेकर जोरदार बहस भी हुई। हंसराज सुमन ने आगे बताया कि वाइस प्रिंसिपल की नियुक्ति में जोड़तोड़ और मनमानी पर रोक लगाना, कॉलेज के विकास और कॉलेजों में स्वस्थ वातावरण के लिए जरूरी है। हम इस पर कोई समझौता नहीं करेंगे।


इसके साथ ही प्रिंसिपल को 5 साल का एक अतिरिक्त कार्यकाल देने से कॉलेज के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। डूटा की बहुत पुरानी मांग रही है कि प्रिंसिपल को 5 साल का केवल एक ही कार्यकाल मिलना चाहिए। 
 

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