Edited By Riya bawa,Updated: 04 Sep, 2019 11:03 AM
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग...
नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग देश के सभी विश्वविद्यालय में संचालित स्नातक पाठ्यक्रमों की अवधि तीन से बढ़ाकर चाल साल किए जाने पर विचार कर रहा है। अब से ग्रेजुएशन के बाद सीधे पीएचडी कर सकेंगे। इसके लिए स्नातकोत्तर होना अनिवार्य नहीं रहेगा। इसकी पुष्टि यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह ने की है।
विश्वविद्यालयों में वर्तमान में स्नातक पाठ्यक्रम तीन साल का और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम दो साल का होता है। इसके बाद ही किसी विद्यार्थी को पीएचडी में प्रवेश मिल सकता है। ऐसे में यूजीसी देश की शिक्षा नीति में बड़े स्तर पर फेरबदल करने जा रहा है। इसके लिए यूजीसी ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की है। इसी कमेटी ने शिक्षा नीति में बदलाव के लिए यूजीसी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें कई सिफारिशें की गई हैं।
स्नातक पाठ्यक्रम के चौथे साल में शोध को केंद्र में रखा जा सकता है। वहीं, इस दौरान विश्वविद्यालयों को तीन वर्षीय परंपरागत स्नातक पाठ्यक्रम चलाने की छूट भी मिलेगी। यह नीति देश को नई दिशा देने वाली होगी। इस वजह से इसके हर बिंदु को अच्छी तरह से परख कर ही लागू किया जाएगा। नई नीति अगले साल से लागू की जा सकती है।