Edited By pooja,Updated: 15 Oct, 2018 03:03 PM
यूजीसी की तरफ से सरकार द्वारा देशभर के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षकों पर एक नया नियम लागू किया जा रहा है सिविल सर्विस कानून (सीसीएस)।
नई दिल्ली: यूजीसी की तरफ से सरकार द्वारा देशभर के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षकों पर एक नया नियम लागू किया जा रहा है सिविल सर्विस कानून (सीसीएस)। सीसीएस लागू किए जाने का शिक्षकों की तरफ से विरोध किया जा रहा है।
शिक्षकों का कहना है कि इस नियम के रूप में सरकारी अनुदान प्राप्त केंद्रीय विश्वविद्यालयों पर लागू करने से स्वतंत्र रूप से किसी विचार के बारे में सोचने पर प्रतिबंध लग जाएगा। ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजिज एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स एसोसिएशन ने सरकार द्वारा शिक्षकों पर सिविल सर्विस कानून थोंपने की कड़े शब्दों में आलोचना की है और इसे विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर सरकार का सीधा हमला बताया है।
एसोसिएशन का कहना है कि सरकार ने अपना एजेंडा वापस नहीं लिया तो देशभर के शिक्षकों को इस व्यवस्था के खिलाफ एक जुट होकर आंदोलन करेगा।
टीचर्स एसोसिएशन के नेशनल चेयरमैन प्रो. हंसराज सुमन का कहना है कि इससे उच्च शिक्षा के संस्थानों में सरकार का हस्तक्षेप बढ़ेगा। वर्तमान में यूजीसी का केंद्रीय विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है। शिक्षक यदि सरकार की नीतियों की निंदा करता है, चाहे सरकारी नीति गलत ही हो उसको ऐसा करने पर निलंबित कर दिया जाएगा।
उन्होंने बताया है कि हाल ही में यूजीसी द्वारा सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को सेंट्रल सिविल सर्विस (कंडक्ट) रूल्स 1964 भेजा है। इस नियम को कुछ विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर इसे लागू करने का आदेश भी दे दिया गया है। उनका कहना है कि ऐसा कानून ब्रिटिश राज से कम नहीं है जहां किसी को भी सरकार के खिलाफ बोलने पर सजा हो जाती थी, यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हमारे संवैधानिक अधिकारों के विरुद्ध है।