Success Story: पेट्रोल पंप वर्कर पिता का सपना पूरा करने के लिए होनहार बेटा बना IAS अफसर

Edited By Riya bawa,Updated: 27 Sep, 2019 12:30 PM

upsc 93rd rank holder pradeep singh is son of petrol pump worker

हर एक इंसान जिंदगी में मुश्किलों...

नई दिल्ली: हर एक इंसान जिंदगी में मुश्किलों से जूझते हुए किसी न किसी दिन सफलता हासिल करता है। एक ऐसी ही कहानी की बात करने जा रहे है जिसने कड़ी मेहनत के दम पर UPSC के सिविल सर्विस एग्जाम में ऑल इंडिया 93वीं रैंक हासिल की। यूपीएससी की ओर से हर वर्ष आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा देश की चुनौतिपूर्ण परीक्षाओं में से एक है। देश के कई युवा बचपन से इस परीक्षा को पास कर IAS बनने का सपना संजोते हैं। 

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बात करने जा रहे है इंदौर के रहने वाले प्रदीप सिंह की जिन्होंने साल 2018 में UPSC के सिविल सर्विस एग्जाम में ऑल इंडिया 93वीं रैंक हासिल की। प्रदीप ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है। प्रदीप का कहना है कि उनके माता-पिता ने उनकी सफलता के लिए बहुत संघर्ष किया है, अब उनके संघर्ष को खत्म करने का समय है। मध्य प्रदेश के रहने वाले प्रदीप मूल रूप से बिहार के निवासी हैं और दिल्ली में रहकर पढ़ाई की। प्रदीप के पिता भी मूल रूप से बिहार से ही हैं। 

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बचपन का सपना हुआ पूरा
प्रदीप ने बचपन से ही सोच रखा था कि बड़े होकर उन्हें कलेक्टर बनना है, वे कलेक्टर बनकर महिला सशक्तिकरण, महिला सुरक्षा और देश के लिए काम करना चाहते हैं। प्रदीप ने कहा UPSC की परीक्षा पास करने के लिए सिर्फ मन में दृढ़ निश्चय हो, उसके बाद सब मुमकिन है। 

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जानिए कैसे पूरी की पढ़ाई 
--प्रदीप के माता पिता ने गरीबी में भी बच्चों को पढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। प्रदीप के माता-पिता ने अपनी जरूरतों को किनारे कर अपने बच्चों को पढ़ाया। प्रदीप के पिता 1992 में मध्य प्रदेश आए और यहां उन्होंने पेट्रोल पंप पर नौकरी की। 

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--प्रदीप के पिता ने बेटे को तैयारी करने के लिए दिल्ली भेजने के लिए मकान बेच दिया। तब से परिवार किराए के मकान में रहा, मां ने पढ़ाई जारी रखने के लिए अपने गहने बेचे और गिरवी रखे। 

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--दिल्ली जाते वक्त प्रदीप ने मां को भरोसा दिलाया था कि उसका चयन जरूर होगा और हुआ भी।  इंदौर डीएवीवी से पढ़ाई करने के बाद प्रदीप दिल्ली गया,  वहीं पर अपनी पढ़ाई जारी रखी। आज प्रदीप की कहानी मुश्किलों से जूझते नौजवानों के लिए एक प्रेरणा है। 

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