Edited By Riya bawa,Updated: 15 Mar, 2020 12:48 PM
हर वर्ष 15 मार्च को उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस...
नई दिल्लीः हर वर्ष 15 मार्च को उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस सबसे पहले 15 मार्च 1983 को मनाया गया था और बाद में यह एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया। एक उपभोक्ता होने के नाते आपके कुछ अधिकार भी हैं लेकिन बहुत से लोगों को उनके अधिकारों के बारे में नहीं पता। इस दिवस का उद्देश्य भी उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना है। आज विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के अवसर पर हम आपको आपके बताएंगे आपके अधिकार ताकि बाज़ार में कुछ भी खरीदने से पहले आप सजग रहे।
सबसे पहले जानते है उपभोगता सरक्षण अधिनियम के बारे में:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
यह अधिनियम उन सभी उपभोक्ता अधिकारों को सुरक्षित करता है जिनको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया। इस अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देने और संरक्षण देने के लिए केंद्रीय, राज्य एवं जिला स्तरों पर उपभोक्ता संरक्षण परिषद स्थापित किए गए है।
सुरक्षा का अधिकार
जीवन के लिए नुकसानदेह/हानिकारक वस्तुओं और सेवाओं के खिलाफ संरक्षण प्रदान करना।
सूचना का अधिकार
उपभोक्ता द्वारा अदा की गई कीमतों /सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, वजन और कीमतों की जानकारी ताकि गलत व्यापारिक प्रक्रियाओं द्वारा किसी उपभोक्ता को ठगा नहीं जा सके।
चुनने का अधिकार
प्रतिस्पर्धी कीमतों पर वस्तुओं और सेवाओं के अनेक प्रकारों तक यथासंभव पहुंच को निश्चित करना।
सुनवाई का अधिकार
उपयुक्त फोरम पर सुने जाने का अधिकार और यह आश्वासन कि विषय पर उचित ध्यान दिया जाएगा।
उपचार का अधिकार
गलत या प्रतिबंधित कारोबारी गतिविधियों/शोषण के खिलाफ कानूनी उपचार की मांग करना।
उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
इसके तहत उपभोक्ता को उपभोक्ता होने के नाते इसकी जानकारी पाने का पूरा अधिकार है।
इतिहास
15 मार्च, 1962 को अमेरिकी कांग्रेस में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने उपभोक्ता अधिकारों को लेकर शानदार भाषण दिया था। इस ऐतिहासिक भाषण के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है।
भारत में 24 दिसंबर को मनाया जाता है ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस’
भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत 1966 में मुंबई से हुई थी। 1974 में पुणे में ग्राहक पंचायत की स्थापना के बाद अनेक राज्यों में उपभोक्ता कल्याण हेतु संस्थाओं का गठन किया गया और यह आंदोलन बढ़ता गया। 9 दिसंबर 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बार देशभर में लागू हुआ। इसके बाद 24 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस मनाने का निर्णय लिया गया।