Edited By pooja,Updated: 29 Aug, 2018 05:05 PM
विदेश में नौकरी करना हर इंडियन का एक सपना हो गया है। पहले ये काम बड़ा मुश्किल था लेकिन अब विदेश में नौकरियां पाना थोड़ा आसान हो गया है।
नई दिल्ली: विदेश में नौकरी करना हर इंडियन का एक सपना हो गया है। पहले ये काम बड़ा मुश्किल था लेकिन अब विदेश में नौकरियां पाना थोड़ा आसान हो गया है। विदेशों में न सिर्फ काम बल्कि लुभावना वेतन भी पाया जा सकता है। हां, इतना जरूर है कि नौकरियों के लिए कैंडीडेट को उस देश की भाषा का ज्ञान होना चाहिए। फॉरन लैंग्वेज में डिग्री, सर्टिफिकेट व डिप्लोमा व एडवांस्ड डिप्लोमा कोर्स किए जा सकते हैं।
कोर्स अवधि: सर्टिफिकेट की अवधि 6 महीने से एक साल, डिप्लोमा 1-2 साल व ग्रैजुएशन के लिए 3 साल व पीजी के लिए 2 साल की अवधि निर्धारित है।
जॉब प्रोफाइल
टीचर: फॉरेज लैंग्वेज में करियर संवारना हो, तो टीचिंग एक बेहतरीन जॉब ऑप्शन हो सकता है। इसके लिए पीएचडी के साथ नेट क्वालिफाई करना होगा।
इंटरप्रेटर: टेलिकॉन्फ्रेंसिंग व वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग जैसी टेक्नॉलजी के आने से अब दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ मीटिंग या कॉन्फ्रेंस की जा सकती है।
ट्रांसलेटर: कई कंपनियों को अपने बिजनेस पार्टनर्स या क्लाइंट्स से कम्युनिकेट करने के लिए ट्रांसलेटर्स की जरूरत होती है। आप रेग्युलर, फुल टाइम या पार्ट टाइम ट्रांसलेटर के तौर पर काम कर सकते हैं। कई एजेंसीज फॉरन लैंग्वेज एक्सपर्ट्स को ट्रांसलेटर के रूप में हायर करती हैं। ट्रांसलेशन किताबों, लेख, फिल्म स्क्रिप्ट आदि के लिए हो सकता है।
बीपीओ: भारत में बीपीओ इंडस्ट्री के तेजी से बढ़ने की एक बड़ी वजह फॉरन लैंग्वेज के स्किल्ड प्रोफेशनल्स रहे हैं।
फॉरन सर्विसेज: फ्रैंच, जर्मन या रशियन लैंग्वेज में मास्टर्स करने वाले संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल होकर आईएएस या आईएफएस में जा सकते हैं।