Exclusive Interview - 'दे दे प्यार दे' : नई पीढ़ी की नई कहानी

Edited By Chandan,Updated: 17 May, 2019 11:39 AM

film de de pyaar de starcast exclusive interview

अजय देवगन और तब्बू 25 साल बाद एक बार फिर से रोमांटिक जोड़ी के तौर पर बड़े पर्दे पर वापसी कर रहे हैं। इस जोड़ी को साथ ला रहे हैं फिल्म ''प्यार का पंचनामा'' और ''सोनू के टीटू की स्वीटी'' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म दे चुके निर्देशक लव रंजन। अजय और तब्बू के...

नई दिल्ली। अजय देवगन (Ajay Devgn) और तब्बू (Tabu) 25 साल बाद एक बार फिर से रोमांटिक जोड़ी के तौर पर बड़े पर्दे पर वापसी कर रहे हैं। इस जोड़ी को साथ ला रहे हैं फिल्म 'प्यार का पंचनामा' (Pyaar Ka Punchnama) और 'सोनू के टीटू की स्वीटी' (Sonu Ke Titu Ki Sweety) जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म दे चुके निर्देशक लव रंजन (Luv Ranjan)। अजय और तब्बू के साथ-साथ इस फिल्म में नजर आ रही हैं बॉलीवुड एक्ट्रेस रकुल प्रीत सिंह (Rakul Preet Singh)।

फिल्म की कहानी एक 50 साल के आदमी और 26 साल की लड़की की है जिन्हें एक दूसरे से प्यार हो जाता है। अब इस सिचुएशन पर उनका परिवार कैसे रिएक्ट करता है और उसमें सोसइटी कैसा तड़का लगाती है ये फिल्म में बहुत ही लोट-पोट कर देने वाले अंदाज में दिखाया गया है। फिल्म आज सभी सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म प्रमोशन के लिए दिल्ली पहुंचे अजय, तब्बू और रकुल ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/ हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश :

 

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अजय देवगन

क्या ये देसी मसाला टाइप फिल्म है जिसमें घरेलू टाइप की गॉसिप मिलेगी?
ये एक फैमिली ड्रामा है जिसमें दिखाया गया है कि अगर ऐसी स्थिति होती है जिसमें दो ऐसे लोगों को एक-दूसरे से प्यार हो जाता है जिनकी उम्र में बहुत अंतर है तो फैमिली उस सिचुएशन को कैसे टैकेल करती है और उसके बारे में सोसाइटी क्या सोचती है। इस फिल्म की खास बात ये है कि सब कुछ इसमें कॉमेडी के तड़के के साथ दिखाया गया है।

आजकल कंटेट और फिल्म बजट में काफी बदलाव आया है। अब रियलिस्टिक और छोटे बजट की स्टोरीज हिट साबित हो रही हैं। तो क्या हम ऐसा कह सकते हैं कि ऑडियंस का 'स्टार पावर' और 'लार्जर देन लाइफ सिनेमा' का टेस्ट खत्म हो रहा है?
नहीं ऐसा नहीं है। ये समय की मांग है। अब ऑडियंस की कंटेंट च्वॉइस में काफी बदलाव आया है, वो रियल लाइफ बेस्ड स्टोरीज ज्यादा पसंद कर रही है। ऑडियंस की च्वॉइस के अनुसार हमें भी खुद को बदलना पड़ता है। मैं भी देश के जाने माने फुटबाल खिलाड़ी और राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के कोच रहे सैय्यद अब्दुल रहीम की बायोपिक में काम कर रहा हूं जिसे फिल्म 'बधाई हो' के निर्देशक अमित शर्मा निर्देशित कर रहे हैं।

इस फिल्म में तो आप काफी रोमांटिक नजर आ रहे हैं, रियल लाइफ में आप कैसे हैं?
रील लाइफ से बिल्कुल अलग। मैं ऑनस्क्रीन जितना रोमांटिक रोल प्ले करता हूं, रियल लाइफ में मैं उतना ही अनरोमांटिक हूं। जिस तरह मैं फिल्मों में रोमांटिक अंदाज में हिरोइन से अपने प्यार का इजहार करता हूं, उस तरह मैंने अपनी असल जिंदगी में कभी प्रपोज नहीं किया।

आज के दौर में कोई ऐसी चीज जो आपको लगता है कि नहीं होनी चाहिए थी?
मेरे हिसाब से मोबाइल फोन और उसमें लगा कैमरा काफी खतरनाक है। इसके कारण अब किसी की कोई भी प्राइवेसी नहीं रह गई है। आप कहीं भी जाते हैं, कैमरा तैयार रहता है। ये चीजें पहले नहीं थीं। इससे अच्छा हमारा पहले का दौर था। एक एक्टर के नजरिए से बात करूं तो हमें पूरा दिन कैमरे के सामने रहना होता है, कुछ समय मिलता है जब हम अपनी फैमिली के साथ वक्त बिताने बाहर जाते हैं लेकिन वहां लोगों के जो कैमरे मौजूद होते हैं वो हमारे पर्सनल टाइम को भी सोशल कर देते हैं।

 

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तब्बू

क्या इस फिल्म से सोसाइटी को कोई नेगेटिव मैसेज भी जाएगा?
बिल्कुल भी नहीं। यह दो महिलाओं की पुरुष के लिए लड़ाई की कहानी नहीं है। यह मजाक उड़ाने या दिल्लगी (करने वाले किसी व्यक्ति) करने की कहानी नहीं है। इसमें गंभीरता और परिपक्वता है जो कि फिल्म की सबसे बड़ी सुंदरता है।

काफी लंबे समय से आप एक-दूसरे के साथ काम कर रहे हैं, क्या अजय में कोई बदलाव आया है?
नहीं, अजय में आज तक कोई बदलाव नहीं आया। इनके काम करने का तरीका, इनकी धारणा, इनका लिविंग स्टाइल, सब पहले जैसा ही है। मैं चाहती भी नहीं कि इनमें किसी भी तरह का कभी कोई बदलाव आए। ये जैसे हैं वैसे ही मुझे बर्दाश्त कर सकते हैं, बदल गए तो शायद नहीं कर पाएंगे।

आप आज तक सिंगल हैं, क्या कोई कमी महसूस होती है?
बिल्कुल भी नहीं। अकसर जब लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं सिंगल क्यों हूं तो मैं अजय पर पूरी बात डाल देती हूं लेकिन सच बताऊं तो मैं इनके साथ बहुत ही खुश हूं। इनके होते हुए मुझे किसी की भी जरूरत नहीं है। जब आपके दोस्त बहुत अच्छे होते हैं तो पार्टनर चुनते वक्त आपके स्टैंटर्ड भी हाई हो जाते हैं।

 

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रकुल प्रीत सिंह

अजय देवगन और तबू की जोड़ी को ऑनस्क्रीन हमेशा बहुत ही सराहा गया है, जब आपको पता चला कि लंबे समय के बाद ये दोनों फिर से पेयर होने वाले हैं और आप इस फिल्म का बड़ा हिस्सा हैं तो आपका पहला रिएक्शन क्या था?
मैंने अपनी लाइफ में जो पहला गाना गाया था वो था अजय और तबू पर फिल्माया गया 'रुक रुक रुक अरे बाबा रुक', वो वीडियोज़ आज भी मेरे पापा के पास हैं। स्कूल में इस गाने पर मैंने काफी बार परफॉर्म किया जिसके लिए मुझे प्राइज भी मिला। इस बार मुझे मौका मिला था उसी गाने के स्टार्स के साथ काम करने का जिसके लिए मैं बहुत ही एक्साइटेड थी। टीम ने मुझसे कहा था कि जब आप सीनियर एक्टर्स के साथ काम करते हैं और लोग आपके उस किरदार को याद रखते हैं तो वो आपके लिए अचीवमेंट है। इतने अच्छे एक्टर्स के साथ काम मिलना, मुझे नहीं लगता है कि मैं इससे अच्छा कुछ और मांग सकती थी।

आपके किरदार आयशा के मुताबिक प्यार में उम्र मायने नहीं रखती, रकुल इस बारे में क्या सोचती हैं?
अगर दो लोग एक-दूसरे से प्यार करते हैं और उस रिश्ते में एक साथ खुश हैं तो मेरे अनुसार वहां कुछ सही या गलत नहीं होता, वहां उम्र मायने नहीं रखती। आज कल बहुत से ऐसे रिलेशनशिप हम देख रहे हैं जिनकी उम्र में बहुत फर्क है लेकिन फिर भी वो साथ में खुश हैं। समाज द्वारा परफेक्ट रिलेशनशिप के लिए तय किए गए पैमाने में रहकर दुखी होने से बेहतर है कि उस रिश्ते में रहा जाए जहां दोनों ही पार्टनर खुश रहें।

आपके अनुसार प्यार क्या है और आप अपने पार्टनर में क्या-क्या खूबियां चाहती हैं?
मुझे लगता है आजकल प्यार का बहुत ही मिसयूज किया जाता है। मेरे अनुसार प्यार अनकंडिशनल होता है, उनमें कोई रूल्स, किसी तरह की कोई बंदिश नहीं होती है। प्यार एक रिश्ते में होना है जिसमें दोनों ही पार्टनर खुश हों। मुझे मेरा पार्टनर 6 फीट से लंबा चाहिए। उसका सेंस ऑफ ह्यूमर अच्छा होना चाहिए और लाइफ पर फोकस होना चाहिए।

आप एक्ट्रेस और बिजनेस वूमेन होने के साथ-साथ तेलंगाना सरकार के प्रोग्राम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रैंड ऐंबैसडर भी हैं, सोशल प्रोग्राम के जरिए आप क्या बदलना चाहेंगी?
करना तो मैं बहुत कुछ चाहती हूं लेकिन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ प्रोग्राम ने मुझे वो प्लेटफॉर्म दिया जहां एजुकेशन को लेकर कई बदलाव करने का मुझे मौका मिला। ऐसे और कई बड़े बदलाव हैं जो मैं लाना चाहती हूं। अगर किसी तरह से हम एजुकेशन का एक बेसिक स्टैंडर्ड सेट कर सकें तो हमारे देश की आधी प्रॉब्लम खत्म हो जाएगी। लेकिन ये सिर्फ सोचने से नहीं होगा, इसके लिए जरूरी है कि जो भी लोग इस काबिल हैं कि वो इसमें कुछ सहयोग दे सकते हैं वो अपने घर से ही इसकी शुरुआत करें। 

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