Updated: 08 Aug, 2024 02:27 PM
आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस है, जो भारत की समृद्ध और विविध वस्त्र विरासत का उत्सव है।
नई दिल्ली,टीम डिजिटल। आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस है, जो भारत की समृद्ध और विविध वस्त्र विरासत का उत्सव है। हथकरघा वस्त्र केवल एक शिल्प नहीं हैं; वे हमारी सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक हैं, हमारे कारीगरों के कौशल और रचनात्मकता का प्रमाण हैं। इस राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर, हम हथकरघा फैशन की चिरस्थायी भव्यता और इस उद्देश्य को बढ़ावा देने वाली अभिनेत्रियों को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने पारंपरिक बुनाई को समकालीन सुर्खियों में ला दिया है।
रेखा: सदाबहार दीवा
रेखा, जो शालीनता और भव्यता की प्रतिमूर्ति हैं, लंबे समय से हथकरघा साड़ियों की संरक्षक रही हैं। कांजीवरम और बनारसी का उनका संग्रह प्रसिद्ध है, प्रत्येक साड़ी भारतीय बुनकरों के शिल्प कौशल को दर्शाती है। रेखा के पारंपरिक वस्त्रों के प्रति अटूट प्रेम ने उन्हें एक स्टाइल आइकन और हथकरघा फैशन की पथप्रदर्शक बना दिया है।
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विद्या बालन: टाइमलेस आइकन विद्या बालन के परिधानों के चुनाव ने हमेशा भारत की कपड़ा विरासत का जश्न मनाया है। साड़ियों के प्रति उनका प्यार, खास तौर पर हथकरघा वाली साड़ियों के प्रति, जगजाहिर है। विद्या अक्सर खूबसूरत हथकरघा साड़ियों में बाहर निकलती हैं, जो साबित करती हैं कि पारंपरिक बुनाई ठाठ और समकालीन दोनों हो सकती है। उनका स्टाइल मंत्र कई लोगों को पसंद आता है, जो हथकरघा वस्त्रों के प्रति नए सिरे से प्रशंसा को प्रोत्साहित करता है।
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कंगना रनौत: एक सशक्त वकील
कंगना रनौत सिर्फ़ अपनी दमदार अदाकारी के लिए ही नहीं बल्कि भारतीय हथकरघा की अपनी मज़बूत वकालत के लिए भी जानी जाती हैं। चाहे कैज़ुअल डे आउट हो या रेड कार्पेट इवेंट, कंगना अक्सर हथकरघा साड़ियों और आउटफिट्स को ही चुनती हैं। उनके फ़ैशन विकल्प हथकरघा वस्त्रों की बहुमुखी प्रतिभा और सुंदरता को उजागर करते हैं, जिससे कई लोग स्वदेशी बुनाई को अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं।
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जैसा कि हम राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाते हैं, आइए इन अभिनेत्रियों से प्रेरणा लें जिन्होंने हथकरघा फ़ैशन को अपनाया और बढ़ावा दिया है। उनका समर्थन न केवल हमारे बुनकरों के उत्कृष्ट काम को सामने लाता है, बल्कि नई पीढ़ी को हथकरघा वस्त्रों की सराहना करने और उन्हें पहनने के लिए प्रोत्साहित भी करता है। आइए हम अपनी समृद्ध कपड़ा विरासत का सम्मान करें और इस शिल्प को जीवित रखने वाले कारीगरों का समर्थन करना जारी रखें।