EXCLUSIVE INTERVIEW: दोस्ती के खूबसूरत रिश्ते को छूती है फिल्म 'ऊंचाई', प्यार, इमोशन, एडवेंचर और इंस्पिरेशन भी है इसमें

Edited By Auto Desk,Updated: 14 Nov, 2022 03:37 PM

the film  uunchai  touches on the beautiful relationship of friendship

डायरेक्टर सूरज बडज़ात्या और कास्ट अनुपम खेर, बोमन ईरानी, नीना गुप्ता तथा सारिका ठाकुर के साथ खास बातचीत

मुंबई। पारिवारिक फिल्मों के लिए जाने जाने वाले सूरज बडज़ात्या 7 साल बाद फिर ऐसी फिल्म लाए हैं, जो चार दोस्तों की कहानी बयां करते हुए खास मैसेज भी देगी। फिल्म में अमिताभ बच्चन, बोमन ईरानी, अनुपम खेर, डैनी डेन्जोंगपा, नीना गुप्ता, सारिका ठाकुर और परिणीति चोपड़ा नजर आएंगी। फिल्म चार दोस्तों की कहानी है, जिनमें से एक की मौत हो जाने के बाद बाकी तीन बुजुर्ग चौथे दोस्त की ख्वाहिश पूरी करने के लिए माऊंट एवरेस्ट पर चढ़ने का फैसला लेते हैं। फिल्म को लेकर डायरेक्टर सूरज बडज़ात्या, अनुपम खेर, बोमन ईरानी, नीना गुप्ता, सारिका ठाकुर और असिस्टैंट प्रोड्यूसर नताशा ओसवाल ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की।

Anupam kher

Q. आप तक ये मूवी कैसे पहुंची और ऐसी क्या खास वजह थी, जो आपने फिल्म को हां कह दिया?

A. मैं तो राजश्री फिल्म्स के लिए अनिवार्य हूं। मैं वो काला टीका हूं जो नजर न लगे फिल्म को, के लिए लगाते हैं। मेरा एक रिश्ता है इनके साथ। मैं जो भी हूं राजश्री फिल्म वालों की वजह से हूं। मेरी पहली फिल्म उन्होंने ही प्रोड्यूस की थी। हमारे घरवालों ने हमें थैंकफुल होना सिखाया है तो उसका भुगतान जिंदगी भर होता रहेगा। इसके अलावा सूरज जी व राजश्री प्रोडक्शन के साथ काम करने का मजा ही अलग है। रिश्तों, पैसों और करियर की ओर से, हर तरफ से ये एक सुखद अनुभव है। इनके साथ काम करने में मजा आता है। 80 या 100 दिन लगते हैं फिल्म बनाने में, क्योंकि ये लोग फुर्सत में फिल्म बनाते हैं। दिन में अगर एक ही सीन करना है तो एक ही करते हैं। 365 दिनों में से अगर 80 दिन इनके साथ गुजारने को मिलें तो इससे ज्यादा और क्या चाहिए जिंदगी में।

Q. आपकी ये 520वीं फिल्म है। इतना लंबा सफर आपने तय किया, कैसा एक्सपीरियंस रहा ?

A. मैं अभी तक थका नहीं हूं। अभी इंटरवेल पर पहुंचा हूं और बहुत काम करना है। काम करने के लिए थकने की जरूरत ही नहीं है और अगर ऐसे लोगों के साथ काम करने को मिले तो और भी मजेदार बात है, क्योंकि ये जिंदगी बढ़ती है, सिर्फ काम की जिंदगी ही नहीं बढ़ती, बल्कि खून भी बढ़ता है। खुश होने से कौन अच्छा नहीं रहता है और ब्लड प्रेशर भी नहीं होता।

Q. आपने कहा कि मैं अभी थका नहीं हूं तो आप कैसे अपने आप को ऐसे रखते हैं?

A. नौजवानों को देख कर, मेरा मुकाबला उनके साथ है। मैं सीखता रहता हूं कि वरुण धवन से तेज कैसे बनूंगा और मेरे एक्टिंग स्कूल का सबसे ज्यादा फायदा मुझे ही होता है, क्योंकि जब मैं क्लास लेता हूं तो सोचता हूं कि ये भी एक तरीका है अच्छा एक्टर बनने का।

Sooraj Barjatya

Q. इससे पहले आपकी फिल्म 2015 में आई थी। अब 7 साल बाद आपकी फिल्म आ रही है  और वो भी बिल्कुल ट्रैक से हटकर। इसके पीछे की क्या वजह है ?

A. दरअसल, मेरी बिलकुल तैयारी नहीं थी ये फिल्म बनाने की। मैं टेलीविजन शोज कर रहा था, बेटे के लॉन्च की तैयारी चल रही थी। मैं अपने एक और फैमिली सब्जेक्ट की तैयारी में लगा था। फिर एक ऐसा मुकाम आया कि हर जगह पैंडेमिक था। लोग एक-दूसरे को चैलेंज कर रहे थे। माहौल ऐसा बन गया था कि लोग बोले कि इंडस्ट्री कहां जाएगी, बिजनेस नहीं है। थिएटर नहीं चल रहा था। फिर ये जो विषय आया मेरे पास, साहस और एक आशा का विषय, वो मुझसे छूटा नहीं। ये चार दोस्तों की कहानी है। 50 सालों की दोस्ती और एक दोस्त की जब मृत्यु होती है और वो भी उस उम्र में जब मृत्यु को लोग कहते हैं, कगार पर खड़ी है, कभी भी आ सकती है, उस उम्र में बाकी तीन दोस्त उसके लिए एवरेस्ट की चढ़ाई करते हैं। ये कहानी मेरे से छूटी नहीं, तीन महीने में इसकी स्क्रिप्ट लिखी गई और चौथे महीने में कास्टिंग शुरू की गई। कई बार कुछ चीजें होती हैं जो कब से अंदर बैठी रहती हैं, लेकिन उनका एक टाइम आता है बनाने का। तो ऊंचाई का सिलसिला ऐसे शुरू हुआ।

Boman Irani

Q. आप तक ये मूवी कैसे पहुंची? और ऐसी कौन सी खास वजह थी, जो आपने इस फिल्म को 'हां' कहा?

A. दरअसल, मैं कहीं और ही बिजी था, लेकिन मेरे दोस्त अनुपम खेर ने स्टोरी सुनी और उन्होंने सूरज जी से उनकी ड्रीम कास्ट के बारे में पूछा। उन्होंने मेरा नाम लिया तो अनुपम खेर का फोन आया कि फिल्म क्यों नहीं करनी। उन्होंने मुझे कहा कि ये जरूर करनी है, मुझे बहुत अच्छा लगा कि मेरा दोस्त चाहता है कि फिल्म की कास्ट अच्छी हो और गर्व महसूस हुआ कि उन्हें लगता है कि मैं कास्ट को परफेक्ट करुंगा।

Neena Gupta

Q. आपकी फिल्म को 'हां' कहने के पीछे की वजह क्या है?

A. जब राजश्री प्रोडक्शन से सूरज बडज़ात्या जी आपको बुलाते हैं तो उसमें कुछ सोचने की जरूरत नहीं होती कि रोल कैसा है, क्या है? ये अपने आप में बहुत बड़ा ऑनर होता है।

Q. फिल्म में सारे ही दिग्गज अभिनेता हैं तो शूटिंग का एक्सपीरियंस कैसा रहा?

A. सारे ही एक्टर्स जो इस फिल्म में हैं, बहुत अनुभवी हैं। काफी काम किया हुआ है तो एक भाईचारा था। किसी में किसी से आगे बढऩे की होड़ नहीं थी। किसी की कोई ईगो नहीं थी। सबके पेट भरे हुए थे। कोई असुरक्षा नहीं थी तो इस हालात में कभी भी कुछ भी मजे करते थे। कभी भी, कुछ भी खेलते रहते थे सेट पर बैठकर। कुल मिलाकर हंसी-खुशी में बन गई फिल्म।

Q. आपने सिनेमा को बदलते हुए देखा है। लोगों की पसंद को बदलते देखा है। बहुत सारी फिल्में ऐसी आईं, जिनसे बहुत उमीदें थीं, लेकिन चल नहीं पाई, क्या कोई प्रेशर महसूस होता है?

A. मैं जब शुरू में आई थी स्कूल ऑफ ड्रामा से तो हर चीज में घुस जाती थी, लेकिन अब मैंने ये सोचा है कि डायरेक्टर नहीं हूं, प्रोड्यूसर नहीं हूं, मैं एक एक्टर हूं, मैं जाऊंगी और अपना बैस्ट काम करुंगी और आ जाऊंगी। फिल्म चलती है, नहीं चलती ये तो भगवान भी नहीं जनता शायद। मुझे अब टेंशन नहीं लेनी। मुझे मेरे काम की टेंशन लेनी है। मुझे मेरी सेहत ठीक रखनी है, ताकि जाकर काम कर सकूं। अब मैंने सोच लिया है कि अपने काम पर ध्यान दो। जब प्रोड्यूसर बनूंगी तब करुंगी ये सब काम। मैं सिर्फ समय पर जाती हूं,काम करती हूं और वापस आ जाती हूं। इसके बाद जब फिल्म रिलीज होने वाली होती है तो भगवान से प्रार्थना जरूर करती हूं।

Q. आपने बहुत फिल्में की, लेकिन ऐसी कौन सी फिल्म है, जिसने आपको प्रोफैशनली ऊपर उठाया और दूसरी ऐसी कौन सी फिल्म है, जिसने आपको पर्सनल सैटिस्फैक्शन दी?

A. बधाई दो और सांस, ये दो ऐसी फिल्में हैं, जिन्होंने मुझे नाम, काम, पैसा और पर्सनल सैटिस्फैक्शन दी। बधाई हो, ये फेम बहुत मिला और आगे बहुत काम मिला। सांस से इतना नहीं मिला जितना बधाई हो से मिला।

Sarika

Q. किस कारण से आपने 'हां' कहा 'ऊंचाई' को ?

A. ये इमोशनल फैसला था, क्योंकि मैंने पहले उनके साथ काम किया हुआ था, लेकिन काफी वक्त बीच में गुजर गया। ऐसा कभी ध्यान नहीं आया कि होगा या नहीं होगा। अब जब फोन आया तो सोच लिया था कि मैं करुंगी। स्क्रिप्ट पढ़ी तो रोल इतना इंटरेस्टिंग लगा कि पर्सनल और आर्टिस्ट लेवल दोनों पर अच्छे से बैठ गया। सूरज जी से जब मिली तो कोई वजह नहीं बची कि हां क्यों न कहूं।

Q. शूटिंग कितनी मुश्किल रही थी ?

A. एक शेड्यूल मुश्किल था बाकी तो नॉर्मल था, जो नेपाल में किया था, क्योंकि वहां ट्रांसपोर्ट नहीं है। कुछ नहीं है सिर्फ चलना ही चलना था। एक माह तक ऊपर-नीचे सिर्फ चल ही रहे थे, वो फिजकली बहुत मुश्किल था।

Q. ऑडियंस की बदलती पसंद पर आपकी क्या राय है ?

A. ऑडियंस का टेस्ट तो बदल रहा है, लेकिन इतना भी नहीं, शायद वेव भी चल रही है। मेरा अपने काम से पक्का कनेक्शन है जिसके लिए मुझे मेहनत करनी है। जब मेरा काम हो रहा होता है तो कुछ और नहीं करती हूं। जिस दिन लास्ट शूट या डबिंग होती है तो बहुत सारा प्यार देकर फिल्म को छोड़ देती हूं। वैसे भी अलग कोई फिल्म नहीं चल रही, दर्शकों को पसंद नहीं आ रही तब भी बॉटम लाइन यही है कि सब मेहनत से अच्छी फिल्म बनाते हैं।

Q. लेकिन ऐसी क्या वजह है कि बॉलीवुड फिल्में चल नहीं रहीं ?

A. ये फेज हिंदी और बाकी सिनेमा ने बहुत बार देखे हैं। बहुत सारे फैक्टर्स हैं शायद ये अपने आप सॉल्व हो जाएगा। अगर पता होता फार्मूला तो हर फिल्म ही हिट होती और सभी बहुत मेहनत करते हैं।

Natasha Oswal

Q. आपको ये नहीं लगा कि आपने कोई रिस्क लिया है, क्योंकि बॉलीवुड मूवीज आजकल ज्यादा चल नहीं रहीं ?

A. मैं अनुपम जी के साथ सहमत हूं, लोग अच्छी स्टोरी ढूंढ रहे हैं। लोग कनविक्शन के साथ कहानियां ढूंढ रहे हैं और मुझे लगता है कि हम उसी राह पर हैं।

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