यहां नहीं कर पाएंगे याहू, जीमेल का इस्तेमाल

Edited By ,Updated: 01 Mar, 2015 02:06 PM

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सरकारी कार्यालयों में अब बहुत जल्द ही जीमेल, याहू मेल जैसी बाहरी ई-मेल सेवाओं के इस्तेमाल पर पाबंदी लग जाएगी।

नई दिल्लीः सरकारी कार्यालयों में अब बहुत जल्द ही जीमेल, याहू मेल जैसी बाहरी ई-मेल सेवाओं के इस्तेमाल पर पाबंदी लग जाएगी। अब से सरकार ऑफिशल कम्प्यूटर्स पर सरकारी कर्मचारियों की ऐक्टिविटीज़ मॉनिटरर करेगी और उन सभी कॉन्टेंट्स को ब्लॉक करेगी जिससे बाबुओं की प्रॉडक्टिविटी पर असल आ रहा हो।
 
सरकार के इस आदेश में यह भी कहा गया है कि यूजर को बताने के बाद वह उसके ई-मेल्स या इंटरनेट हिस्ट्री को डिलीट करने का भी अधिकार सरकार रखती है। यह नियम नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 18 फरवरी को जारी की गई दो नोटिफिकेशन्स का हिस्सा है जिसके तहत प्राइवेट ई-मेल नेटवर्क्स जैसे जीमेल और याहू को आधिकारिक रूप से सरकारी दफ्तरों में बैन कर दिया गया है।
 
भारत सरकार की ई-मेल पॉलिसी और इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी रिसोर्सेज के इस्तेमाल पर भारत सरकार की पॉलिसी के हवाले से मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि अब से आधिकारिक कम्युनिकेशन के लिए सिर्फ NIC द्वारा दी जा रही ई-मेल सेवाओं का प्रयोग किया जाए।
 
इस नोटिफिकेशन में कहा गया है, 'दूसरे सर्विस प्रोवाइडरों द्वारा दी जा रही सेवाओं का इस्तेमाल किसी भी ऑफिशल कम्युनिकेशन के लिए नहीं किया जाएगा।' इस नोटिफाइड पॉलिसी में केंद्र सरकार के सभी कर्मचारी, राज्य सरकार या यूनियन टेरिटरी के सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए निर्देश हैं जो केंद्र सरकार या उन राज्यों की सरकारों की ई-मेल सेवा का इस्तेमाल करते हैं जो इस नियम को लागू करने के इच्छुक हों। लंबे समय से सरकार इसे लागू करना चाह रही थी ताकि जीमेल और याहू के विदेशी सर्वरों के जरिए जासूसी की समस्या को खत्म किया जा सके।
 
यह नोटिफाइड पॉलिसी सरकार के आईटी रिसोर्सेज के सिक्यॉर ऐक्सेस को सुनिश्चित करती है और यूजर्स (अधिकारियों) द्वारा उसके दुरुपयोग पर लगाम कसती है। पॉलिसी में लिखा है, 'इन रिसोर्सेज के गलत इस्तेमाल से अनचाहे खतरे पैदा होते हैं और सरकार के लिए मुसीबत बढ़ती है। NIC चाहे तो वह उस कॉन्टेंट को ब्लॉक कर सकती है जो संबंधित संगठन की राय में अनुचित हो या यूजर्स की प्रॉडक्टिविटी को प्रभावित करता हो।'
 
इस नोटिफिकेशन में दिए गए दूसरे नियमों में यह भी शामिल है कि NIC सरकारी नेटवर्क की ऑनलाइन ऐक्टिविटीज़ को मॉनिटर कर सकती है और फाइल, ई-मेल्स और इंटरनेट हिस्ट्री को 'सुरक्षा-कारणों से' रिव्यू, कॉपीया डिलीट कर सकती है। लेकिन, इसके लिए उसे यूजर को पूर्व सूचना देनी होगी।
 
इस पॉलिसी के तहत सरकारी नेटवर्क्स से सोशल मीडिया की ऐक्सेस पर भी बंधन लगाए गए हैं। कहा गया है, कि यूजर्स इन साइट्स को ऐक्सेस करते समय हमेशा 'हाई सिक्यॉरिटी सेटिंग्स' का इस्तेमाल करेंगे और कोई आपत्तिजनक, धमकी देने वाला, बदनाम करने वाला, बुली करने वाला, रंगभेदी, भड़काऊ, शोषक, अभद्र या सेक्सिस्ट टिप्णी नहीं करेंगे और न ही ट्विटर या फेसबुकपर किसी ऐसे पोस्ट या कॉमेंट पर टिप्पणी करेंगे जो 'संगठन की छवि को नुकसान पहुंचाए।'
 
पॉलिसी में यह भी कहा गया है कि NIC के अलावा सरकार के अधीन कोई भी ई-मेल सेवा नहीं होगी और पासवर्ड ऑटो सेव करने या सरकारी ई-मेल सेवा को शेयर करने की अनुमति नहीं होगी।
 
इसमें लिखा है, 'जिन संगठनों को क्लॉज नंबर 14 के तहत छू दी गई है, उनके अलावा सभी को अपनी ई-मेल सेवाएं NIC के ई-मेल सर्विस पर माइग्रेट करानी होगी।' सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित विभागों को अलग से मेल सर्वर्स रखने की छूट दी गई है।
 
उनके संबंध में पॉलिसी में लिखा गया है, 'वे अपने सर्वर्स पर ई-मेल सेवाएं जारी रख सकते हैं बशर्ते वे भारत के ही सर्वर्स हों। हालांकि, यूनिफॉर्म पॉलिसी एन्फोर्समेंट और सिक्यॉरिटी के नजरिये से उन्हें सुझाव दिया जाता है कि वे भी अपनी ई-मेल सेवाओं को NIC के सर्वर्स पर लाने के बारे में विचार करें।

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