हरियाणा में 43 लाख लोग करते हैं तंबाकू का सेवन

Edited By ,Updated: 03 May, 2017 12:00 PM

43 lakh people in haryana use tobacco

पंचकूला के डी.सी.पी. अशोक कुमार के निर्देशों पर मंगलवार को जिला सचिवालय में जिले के सभी पुलिस थाना क्षेत्रों के अधिकारियों की तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

पंचकूला(मुकेश) : पंचकूला के डी.सी.पी. अशोक कुमार के निर्देशों पर मंगलवार को जिला सचिवालय में जिले के सभी पुलिस थाना क्षेत्रों के अधिकारियों की तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला हैल्थ फाऊंडेशन, फोर्टिस फाऊंडेशन और पुलिस के सहयोग से आयोजित की गई ताकि नशे से होने वाले कुप्रभावों के बारे में विशेष अभियान चलाकर लोगों को जागरुक किया जा सके। 

 

हैल्थ फाउंडेशन के सीनियर प्रोजैक्ट मैनेजर डा. सोमिल रस्तौगी ने कहा कि प्रदेशभर में किशोर उम्र के जो लड़के-लड़कियां धूम्रपान करतें है, उनमें से एक तिहाई से अधिक तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित होकर दम तोड़ देते हैं। करीब 43 लाख लोग हरियाणा में तंबाकू का सेवन करते हैं। ग्लोबल एडल्ट टोबेको के सर्वे के अनुसार भारत में तंबाकू की लत 17 साल की उम्र में लग जाती है। 

 

ग्लोबल यूथ टोबेको के सर्वे में सामने आया कि भारत के 20 प्रतिशत से अधिक बच्चे तंबाकू के उत्पादों का प्रयोग करते हैं। प्रदेश में करीब 116 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों के सेवन की शुरुआत करते हैं। इनमें भी अधिकतर स्कूल व कालेजों में अध्ययन करने वाले शामिल हैं। डा. रस्तौगी ने कहा कि सभी आधुनिक और प्रगतिशील राज्यों ने अपने नागरिकों के लिए एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करने के लिए कोटपा कानून को कड़ाई से लागू किया है। उन्होंनेे कोटपा एक्ट की धारा 4, 5, 6अ, 6ब, 7 के बारे में जानकारी दी।

 

धूम्रपान उत्पादों में होता है निकोटिन, हैरोइन से अधिक खतरनाक :
डा. वर्मा ने बताया कि तंबाकू और अन्य धूम्रपान उत्पादों में निकोटिन होता है, जो कि हैरोइन से भी अधिक खतरनाक है। इनमें केवल 5 प्रतिशत से कम लोग ही निकोटिन को छोड़ पाते हैं। इसलिए हम सभी को मिलकर इसके लिए सकारात्मक ढंग से काम करना होगा। चिकित्सकों के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों को भी दायित्व बनता है कि वे इसे रोकने के लिए सिगरेट एंव अन्य तबंाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा-2003) का पूरी तरह से अनुपालना करवाएं ताकि बच्चों और युवाओं को इससे बचाया जा सके। 

 

सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने वालों का कटेगा चालान :
डी.सी.पी.  अशोक कुमार ने कहा कि जिलेभर में कोटपा एक्ट की पालना कराने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसमें सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने वालों का भी चालान किया जाएगा। इसलिए जिलेभर के पुलिस अधिकारियों को इसके लिए कोटपा एक्ट में किस प्रकार से कार्रवाई हो, इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है। इस प्रशिक्षण के बाद सभी का सामूहिक प्रयास है कि आम जनता में तथा सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों का उपभोग कम हो। उन्होंने बताया कि सभी पुलिस थानों के द्वारा जागरुकता अभियान के बाद नियमित रुप से कोटपा एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी ताकि युवाओं को इस प्रकार की बुराई से बचाया जा सके। 

 

शिक्षण संस्थाओं के आसपास 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध :
पुलिस अधिकारियों को बताया गया कि सार्वजनिक स्थानों पर कोटपा एक्ट में की जाने वाली कार्रवाई का प्रभावी असर सामने आता है, इसलिए पुलिस के द्वारा चलाए जाने वाले अभियान में इस कानून का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई हो। 

 

उन्होंनेे बताया कि शिक्षण संस्थाओं के आसपास 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध है। इसलिए शिक्षण संस्थाओं के आसपास भी इसी अभियान के दौरान कार्रवाई की जाएगी। सार्वजनिक स्थान जैसे शासकीय कार्यालय, मनोरंजन केंद्र, पुस्तकालय, अस्पताल, स्टेडियम, होटल, शॉपिंग मॉल, कॉफी हाऊस, निजी कार्यालय, न्यायालय परिसर, रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप, सभागृह, लोक परिवहन, शिक्षण संस्थान, टी-स्टॉल, ढाबा और अन्य सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान प्रतिबंधित है। इन स्थानों पर धूम्रपान करने वालों पर 200 रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।

 

कैंसर के बढ़ते मरीजों की उम्र 15 से 35 के बीच :
कार्यशाला में वायस ऑफ टोबेको विक्टिमस की पैटर्न व हैड नेक कैंसर सर्जन डा.सारिका वर्मा ने उपस्थित सभी पुलिस अधिकारियों को तंबाकू के दुष्प्रभावों से अवगत कराया। उन्होंने बताया गया कि वर्तमान में अस्पतालों में कैंसर के रोगी बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुख की बात यह है कि अभी जो मरीज आ रहे हैं उनमें अधिकतर युवा हैं, जिनकी उम्र मात्र 15 साल से 35 के बीच है। हालांकि पहले इस उम्र के लोगों में कैंसर कम होता था लेकिन अब इस उम्र में यह बढ़ रहा है। यंहा जितने लोगों में कैंसर की पहचान हो जाती है उनमें से अधिकांश एक साल के अंदर ही दम तोड़ देते हैं।

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