Edited By Vikash thakur,Updated: 08 Nov, 2020 12:30 AM
गृह मंत्री विज के पास सी.आई.डी. से भी नहीं पहुंचा इनपुट, सरकार के स्तर पर लिया गया गुपचुप फैसला
चंडीगढ़, (पांडेय): हत्या और साध्वियों के यौन शोषण मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम की पैरोल को लेकर अब सियासत शुरू हो गई है। गुरमीत सिंह को बीते 24 अक्तूबर को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में दाखिल बीमार मां से मिलाने के लिए एक दिन की पैरोल दी गई थी। मीडिया में खबर आने के बाद जेल मंत्री रणजीत सिंह ने पूरे मामले की जानकारी दी लेकिन अहम बात यह है कि इसकी जानकारी प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज को भी नहीं दी गई। गृह मंत्री के पास सी.आई.डी. से भी कोई इनपुट नहीं आया था। खुद ‘बाबा’ (गृह मंत्री) ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है।
बताया गया कि यह पूरी कार्रवाई सरकार स्तर पर गुपचुप तरीके से की गई। सूत्रों की मानें तो रोहतक के पुलिस अफसरों को गुरमीत सिंह की सुरक्षा के लिए चंडीगढ़ से ही फोन किए गए थे। जिसके बाद ही डेरामुखी की सुरक्षा में करीब 300 पुलिसकर्मियों के साथ जेल से गुरुग्राम के लिए रवाना किया गया था। सूत्रों अनुसार जेल से निकलने के पहले पुलिसकर्मियों के मोबाइल फोन जमा करवा लिए गए थे।
गृह मंत्री विज के पैर का दोबारा हुआ सफल आप्रेशन
मैक्स अस्पताल में शनिवार को गृह मंत्री अनिल विज के पैर का दोबारा से सफल आप्रेशन किया गया। आप्रेशन के दौरान उनके पैर में डाले गए नेट-बोल्ट और तार को निकाल दिया गया है। डाक्टरों के अनुसार विज की तबियत ठीक है और अगले दो दिन में उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाएगा। बताया गया कि पैर में लोहे की तार की वजह से बार-बार सूजन आ रही थी, जिसके कारण गृह मंत्री को चलने में काफी दिक्कत आती थी। हालांकि विज ने वॉकर के बजाय छड़ी से चलना शुरू कर दिया था लेकिन डाक्टरों ने उन्हें दोबारा आप्रेशन की सलाह दी थी। खुद बातचीत में गृह मंत्री ने कहा कि अब वह बिल्कुल ठीक हैं।