Edited By Priyanka rana,Updated: 26 Sep, 2019 12:20 PM
एक तरफ सरकार जहां स्कूलों में पहली से आठवीं तक के बच्चों के लिए एम.डी.एम. पर इतना व्यय कर रही है। सरकार विद्यार्थियों को पौष्ठिक भोजन परोसने के दावे कर रही है।
मोरनी(अनिल) : एक तरफ सरकार जहां स्कूलों में पहली से आठवीं तक के बच्चों के लिए एम.डी.एम. पर इतना व्यय कर रही है। सरकार विद्यार्थियों को पौष्ठिक भोजन परोसने के दावे कर रही है। वहीं मोरनी के स्कूलों में जो आटा एम.डी.एम. के लिए हैफेड के माध्यम से विद्यालयों को भेजा जा रहा है वह घटिया क्वालिटी का है। आटे में कीड़े आने से योजना पर ही प्रश्नचिन्ह लगता है कि इतने बड़े स्तर पर लापरवाही संबंधित विभाग द्वारा बरती जा रही है। इससे पहले भी एम.डी.एम. के लिए जो चावल व गेहूं आते हैं अक्सर इनमें भी बहुत सी कमियां पाई जाती हैं।
गंदा राशन न करें रिसीव :
खंड शिक्षा अधिकारी मोरनी व राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी इस प्रकार का आटा या गंदा राशन रिसीव करने से मना किया है। क्योंकि अधिकतर गंदा राशन सप्लायर की और से ही स्कूलों में भेजा जाता है जबकि विद्यालयों में आते ही इसकी पूरी जिम्मेदारी विद्यालय के एम.डी. एम. इंचार्ज व प्रिंसिपल की हो जाती है।
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ खंड प्रधान राजेश भंवरा व जिला पंचकूला प्रधान ने आटे में कीड़े मिलने की कड़े शब्दों में निंदा की और सभी अध्यापकों से आग्रह किया कि जो भी सप्लाई एम.डी.एम. की आती है उसकी गुणवत्ता को जांच कर ही विद्यालय में उतारे।