अगर निकोटीन जहर तो रोक में लापरवाही क्यों: हाईकोर्ट

Edited By ,Updated: 12 May, 2016 08:34 AM

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ई-सिगरेट व हुक्का बार में कैमिकल निकोटीन को रोकने के लिए हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ द्वारा उठाए गए कदमों पर असंतुष्टि जताते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई।

चंडीगढ़(विवेक): ई-सिगरेट व हुक्का बार में कैमिकल निकोटीन को रोकने के लिए हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ द्वारा उठाए गए कदमों पर असंतुष्टि जताते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा कि एक ओर तो तीनों कैमिकल निकोटीन को जहर घोषित कर चुके हैं और दूसरी ओर इस जहर को रोकने के लिए सरकारों का रवैया इतना लापरवाह कैसे हो सकता है। मामले में सुनवाई शुरू होते ही हरियाणा, पंजाब और यू.टी. प्रशासन द्वारा कैमिकल निकोटीन हुक्का बार व ई सिगरेट पर रोक के लिए उठाए गए कदमों के बारे में रिपोर्ट सौंपी गई। 
 
हाईकोर्ट ने तीनों की रिपोर्ट देखने के बाद असंतुष्टि जताते हुए कहा कि अभी तक तीनों द्वारा उठाए गए कदमों से ऐसा प्रतीत ही नहीं हो रहा है कि यह एक जहर को रोकने में लाहपरवाह है। इस मामले में गंभीरता का रवैया इसी बात से लगाया जा सकता है कि टीम बनाकर कार्रवाई करने का दावा करने वाले दो वर्ष में एक बार साथ बैठे भी नहीं, ऐसे में टीम बनाकर काम कैसे करते हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने हरियाणा व पंजाब सरकार से इस बारे में जवाब मांगा। दोनों का जवाब भी कुछ इसी प्रकार का रहा। हाईकोर्ट ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई के दौरान तीनों यह बताएं कि आखिर किस प्रकार से वे ई सिगरेट व हुक्का बार पर रोक लगाने का काम करेंगे। 
 
बाकी निकोटीन उत्पाद पर बैन नहीं 

हाईकोर्ट में कैमिकल निकोटीन को लेकर मामला चल रहा है और ऐसे में जो निकोटीन जहर की श्रेणी में शामिल किया गया है वह कैमिकल की श्रेणी का है। प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाले तंबाकू पर बैन नहीं है। ऐसे में ई सिगरेट व कैमिकल हुक्का तो जहर की श्रेणी में आ रहे हैं लेकिन बी.डी., सिगरेट, चैनी, प्राकृतिक तंबाकू वाले हुक्के आदि इसकी श्रेणी से बाहर हैं। 

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