हरियाणा के स्ट्रीट फूड वैंडर्स बिना ट्रेनिंग और लाइसैंस के बेच रहे खाने का सामान

Edited By pooja verma,Updated: 03 Dec, 2019 02:04 PM

street food vendors of haryana are selling food without training and licenses

हर साल दुनिया के 9.4 मिलियन लोग खाने से उत्पन्न होने वाले संक्रमण की चपेट में आते हैं।

चंडीगढ़ (अर्चना): हर साल दुनिया के 9.4 मिलियन लोग खाने से उत्पन्न होने वाले संक्रमण की चपेट में आते हैं। संक्रमित भोजन की वजह से 250 के करीब बीमारियां लोगों को गिरफ्त में लेती हैं। हरियाणा के स्ट्रीट फूड वैंडर्स बिना फूड सेफ्टी और सेफ फूड हैंडलिंग की ट्रेनिंग के खाना परोस रहे हैं। 91.5 प्रतिशत वैंडर्स के पास फूड हाईजीन से जुड़ी ट्रेनिंग नहीं है। 

 

96.5 प्रतिशत वैंडर्स ऐसे मिले जिनके पास लाइसैंस तक नहीं थे। यह खुलासा हरियाणा के सुनियोजित शहर पंचकूला में हुआ है, जो पंजाब यूनिवर्सिटी के सैंटर फॉर पब्लिक हैल्थ और चंडीगढ़ के जी.एम.सी.एच.-32 कम्युनिटी मैडीसिन विभाग की शोधकर्ता ने किया है। अध्ययन के अनुसार 96 प्रतिशत पुरुषों के साथ महज 4 प्रतिशत महिलाएं मिलीं जो फूड वेंडिंग का काम करती हैं। 

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61.5 प्रतिशत ऐसी वैंडिंग यूनिट्स मिली जिसके आसपास आवारा पुश घूम रहे थे। 33 प्रतिशत ऐसे फूड वैंडर्स हैं जो प्राइमरी स्तर तक शिक्षित हैं और 13 प्रतिशत अनपढ़ हैं। इस व्यापार के साथ 18 से 66 साल आयु वर्ग के पुरुष जुड़े हैं। 81 प्रतिशत का फूड वैंडिंग ही मुख्य कारोबार है। आधे से ज्यादा वैंडर्स को संक्रमित खाने के कारण बीमारियों और उनके लक्षणों की जानकारी मिली। 25 प्रतिशत ऐसे वैंडर्स थे जिन्हें जानकारी थी कि गंदे टावल से साफ किए बर्तनों की वजह से उत्पन्न होने वाला संक्रमण लोगों को गिरफ्त में ले सकता है।

 

लाइसैंस किए जाएं जारी, ताकि न हो उत्पीडऩ का शिकार
गवर्नमैंट मैडीकल कालेज एंड हॉस्पिटल सैक्टर-32 के कम्युनिटी मैडीसिन विभाग के अध्यक्ष डा. नवीन कृष्ण गोयल का कहना है कि स्ट्रीट फूड वैंडर्स को नियमित समय के बाद फूड सेफ्टी व हैंडलिंग की ट्रेनिंग दी जाए। नियमित हैल्थ चैकअप किया जाए। लाइसैंस जारी किए जाएं ताकि किसी तरह के उत्पीडऩ का शिकार न हो। 

 

खाना पकाते समय अंगूठी या अन्य गहनें न पहनें। अधिकतर वैंडर्स की यूनिट्स का मूलभूत ढांचा ठीक-ठाक था। उनके पास कूड़ा फैंकने के लिए कूड़ेदान और वेस्ट मैनेजमैंट की व्यवस्था थी परंतु अधिकतर एप्रेन और गलब्स का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे। 

 

25 प्रतिशत वैंडर्स बचे खाने का दोबारा करते हैं इस्तेमाल  
रिपोर्ट के अनुसार 45.5 प्रतिशत वैंडर्स बचे खाने का दोबारा इस्तेमाल नहीं करते और फैंक देते हैं। 20 प्रतिशत ऐसे वैंडर्स थे जिनके खाने का कुछ भी अंश नहीं बचता और सारा खाना बिक जाता है। 25 प्रतिशत वैंडर्स ने माना कि बचे खाने को रेफ्रिजरेट कर देते हैं ताकि अगले दिन इस्तेमाल किया जा सके। कुछ ने माना कि बचा खाना जानवरों को खिला देते हैं। 

 

अध्ययन में पाया गया कि कई वैंडिंग यूनिट्स (61.5 प्रतिशत) के आसपास आवारा पशु घूमते रहते हैं। ऐसी जगह भी वैंडर्स (25 प्रतिशत)ने यूनिट्स लगा रखी है, जहां गंदा पानी खड़ा रहता है। 9.5 प्रतिशत वैंडिंग यूनिट्स कूड़े करकट के नजदीक और 0.5 प्रतिशत टॉयलेट के पास भी मिली। 

 

ज्यादातर यूनिट्स में पानी स्टोरेज टैंक को ढका हुआ था। आधे से कम ने खाने के बर्तनों को भी ढक रखा था। खाना डिस्पोजेबल प्लेट्स में ही परोसा जा रहा था हालांकि कुछ लोग मेटल और प्लास्टिक की प्लेटों का भी इस्तेमाल कर रहे थे। 64.5 प्रतिशत वैंडर्स हर रोज खाने में इस्तेमाल होने वाले तेल को बदल भी रहे थे।  

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व्यवसायिक इमारतों के पास लगाते हैं वैंडर्स खाने की यूनिट्स
रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर वैंडर्स अपनी यूनिट्स व्यवसायिक इमारतों के नजदीक लगाते हैं। उसके बाद वैंडर्स घरों के नजदीक खाने-पीने की चीजें बेचकर मुनाफा कमाना पसंद करते हैं। मंदिर और गुरुद्वारों के बाहर भी जमावड़ा रहता है। 52.5 प्रतिशत वैंडर्स कमर्शियल भवन, 32 प्रतिशत घरों के नजदीक, 15.5 प्रतिशत मंदिर व गुरुद्वारों के बाहर यूनिट्स लगाकर व्यापार चला रहे हैं। 

 

124 वैंडर्स पका खाना, 31 गर्म पेय पदार्थ, 23 कोल्ड ड्रिंक और 22 लोग गैर पके भोजन की बिक्री कर रहे हैं। 56 वैंडर्स ऐसे मिले जो 20 वर्ष से ज्यादा समय से यही काम कर रहे हैं। 59 वैंडर्स 10 से 19 सालों से फूड वैंडिंग कर रहे हैं। 37 वैंडर्स 9 सालों से व्यवसाय से जुड़े हैं। 48 वैंडर्स ने पांच सालों से फूड वैंडिंग  को व्यापार के तौर पर अपना लिया है।

 

ट्रेनिंग  नहीं, 84.5 प्रतिशत को पता गंदा खाना करता है बीमार
ज्यादातर वैंडर्स को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड रैगुलेशन 2011 के तहत फूड सेफ्टी की टे्रङ्क्षनग नहीं है परंतु 84.5 प्रतिशत को जानकारी थी कि गंदे व संक्रमित भोजन से लोग बीमार हो जाते हैं। 63.5 प्रतिशत वैंडर्स को पता था गंदे टावल से बर्तन पोंछने व उसमें परोसा जाने वाला खाना संक्रमित हो जाता है। 

 

अधिकतर वैंडर्स को पता है कि हाथों की सफाई खाना पकाने व परोसने के लिए जरूरी है। 82.5 प्रतिशत वैंडर्स खाना पकाने व परोसने से पहले और बाद में हाथ धोते हैं। छींकने व खांसने के बाद सिर्फ 71 प्रतिशत ही हाथ धोते हैं। 69.5 प्रतिशत वैंडर्स को नहीं पता कि पैसे छूने के बाद खाना पकाने से पहले भी हाथ धोना जरूरी है। 

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