Edited By Vikash thakur,Updated: 19 Apr, 2021 08:29 PM
आमदनी बढ़ाने के लिए फूड प्रोसेसिंग को अपनाए
70 फीसदी से अधिक किसान गेहूं व धान के परंपरागत फसलचक्र में फंसे हुए है
चंडीगढ़, (बंसल): किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए केवल अनाज उत्पादन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि फूड प्रोसैसिंग भी अपनाना होगा। फूड प्रोसैसिंग अपनाकर किसान अच्छी-खासी आमदनी ले सकते हैं। यह कहना है प्रदेश के कृषि एवं पशुपालन मंत्री जे.पी. दलाल का।
दलाल का कहना है कि पंजाब व हरियाणा के 75 फीसदी किसानों के पास पांच एकड़ से कम जमीन है और उनमें भी 70 फीसदी से अधिक किसान गेहूं व धान के परंपरागत फसलचक्र में फंसे हुए हैं। इस चक्र के विपरित सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा की भावांतर योजना के तहत सरकार किसानों को सब्जियों के भाव बाजार से कम होने पर भाव के अंतर की भरपाई कर रही है। धान जैसी पानी की अधिक खपत वाली परंपरागत फसल के चक्र से किसानों को मक्का की खेती की ओर बढ़ाने के लिए 7000 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
‘5000 गांवों के किसान सालाना 4000 टन शहद उत्पादन कर रहे’
दलाल ने कहा कि सरकार किसानी के ऐसे नए प्रयोगों को बढ़ावा देना चाहती है जिससे किसान की आय वृद्धि के नए तरीके और नए मॉडल विकसित हो सकें। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या और तेजी से शहरीकरण-औद्योगिकीकरण के बीच खेती की जमीन का कम होना भी एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि छोटी जोत के किसानों के लिए मधुमक्खी पालन वरदान है। हरियाणा किसान आयोग की 2017 की एक रिपोर्ट मुताबिक राज्य के करीब 5000 गांवों के किसान सालाना 4000 टन शहद उत्पादन कर रहे हैं। हरियाणा सरकार यमुनानगर में जल्द ही शहद मंडी भी शुरू करेगी।